संयम की साधना से सर्वकालिक दुःख मुक्ति हो सकती है: आचार्यश्री महाश्रमण
रावड़ी ढाणी, 14 जनवरी, 2023
परमपूज्य आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 13 किलोमीटर का विहार कर रावड़ी ढाणी के विद्यालय में पधारे। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में पूज्यप्रवर ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी दुनिया में दुःख भी और सुख भी मिलता है। दुःख और सुख अनेक प्रकार के हैं। जन्म, जरा, व्याधि और मृत्यु दुःख है। एक तात्कालिक दुःख-मुक्ति और एक सार्वकालिक दुःख-मुक्ति होती है। अनेक रूप में तात्कालिक दुःख मुक्ति हो सकती है, पर वो बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात है-सार्वकालिक दुःख-मुक्ति। फिर दुःख होगा ही नहीं। दुःख का उन्मूलन हो जाए। शास्त्र में कहा गया है कि अपने आपका अभिनिग्रह करो। इस प्रकार दुःख-मुक्ति हो जाएगी। संयम की साधना से सार्वकालिक दुःख मुक्ति प्राप्त हो सकती है। संयम की चेतना का विकास हो। शरीर, वाणी, मन और इंद्रियों का संयम रखें। गुणों के पहाड़ पर आरोहण करें, अहंकार के पहाड़ पर नहीं। चतुर्विध संयम हो जाए। गृहस्थों में भी संयम हो।
नशा आदि व्यसनों से मुक्त रहें यह एक प्रसंग से समझाया कि व्यसन से बहुत नुकसान होता है। संयम से आदमी सुखी बन सकता है। मन पर संयम हो। यह भी एक प्रसंग से समझाया कि हम संयम करें, यह दुःख-मुक्ति का मार्ग है। पूज्यप्रवर ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को समझाकर स्थानीय लोगों को अवगत किया। पूज्यप्रवर के स्वागत में नखत सिंह, ब्लाॅक शिक्षाधिकारी लच्छाराम सियाल ने पूज्यप्रवर का अपने गाँव पधारने पर भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।