ज्ञानशाला के विविध आयोजन
धुलागढ़, पश्चिम बंगाल
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में भंवरलाल बैद की फैक्ट्री में कोलकाता ज्ञानशाला प्रशिक्षिका वर्ग द्वारा स्वागत कार्यक्रम किया गया। जिसमें 73 प्रशिक्षिकाओं एवं अच्छी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जीवन निर्माण में संस्कारों का बहुत महत्त्व है। संस्कार प्राप्ति का महत्त्वपूर्ण उपक्रम हैµज्ञानशाला। ज्ञानशाला ज्ञान का मंदिर है, संस्कारों का घर है, संस्कारों की पौध है। मुनिश्री ने आगे कहा कि वे माँ-बाप भाग्यशाली हैं जिनके बच्चे ज्ञानशाला में सुसंस्कारों का विकास करते हैं। मुनिश्री ने ज्ञान का महत्त्व बताते हुए कहा कि ज्ञान जीवन का अनमोल रत्न है। जितना ज्ञान का विकास होगा, उतना ही अध्यापन करने में सुविधा होगी। ज्ञानशाला में जो बहनें समय देती हैं, उनका भी विकास होता है।
बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं के मंगलाचरण से हुआ। वृहद कोलकाता एवं दक्षिण बंगाल ज्ञानशाला आंचलिक संयोजक प्रेमलता चोरड़िया, तेरापंथी सभा, कोलकाता के अध्यक्ष अजय भंसाली, महासभा पंच मंडल सदस्य भंवरलाल बैद, आंचलिक प्रभारी तेजकरण बोथरा, ज्ञानशाला कार्यसमिति सदस्य महालचंद भंसाली, सह-संयोजक संजय पारख, कोलाघाट से पूजा रितु बोथरा, डाॅ0 समता चोरड़िया ने अपनी भावनाएँ व्यक्त की। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने स्वागत, गीत व नाटिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।