मर्यादा महोत्सव पर विशेष

मर्यादा महोत्सव पर विशेष

अर्हम

साध्वी अमितरेखा

है तेरापंथ रे संविधान री
सचमुच अजब कहानी
सचमुच अजब कहानी
अठे चले नहीं मनमानी।।

गुरु भिक्षु निज पर स्यूं मर्यादा रो बिरवो रोप्यो।
पा युग रे अनुकूल पटधर गणपति आसण ओप्यो।
है एक गुरु री आण जी
आ तेरापंथ पहचाण जी
अनुशासन में चालणिये री, फहेह सदा है मानी।।

जयाचार्य री सूझबूझ पर, सबनै इचरज भारी।
देख अलौकिक प्रतिभा प्यारी, जावां म्हें बलिहारी।
गुरु आणा सिर मोड़ है
आ सात हाथ री सोड़ है
गण गणपति हित देवे हस हस प्राणां री कुर्बानी।।

एक-एक स्यूं हूया दीपता आचारज है सारा।
आभारी जय गणपति रा उत्सव दिया सुप्यारा।
ओ माघ महोत्सव खास है
जनता ने पूरी आश है
मुक्त हाथ स्यूं बाँटै खुशियाँ बणकर प्रभु महादानी।।

महाश्रमण और मुख्यमुनि री जोड़ी जमी निराली।
साध्वीप्रमुखा साध्वीवर्या रो पद है गौरवशाली।
माना सतयुग साक्षात् है
हर दिन स्वर्णिम प्रभात है
‘अमित’ करा मर्यादा रक्षा सदा संघ सहनानी।।

लय: स्वामीजी थांरी साधना----