शेषकाल में बही धर्म की गंगा
रायसिंहनगर।
समणी जयंतप्रज्ञा जी और समणी सन्मतिप्रज्ञा जी का रायसिंहनगर को लगभग 2 महीने का प्रवास प्राप्त हुआ। समणीजी के प्रवास के दौरान प्रातः-सायं का प्रवचन हुए जिसमें तीर्थंकर अरिष्टनेमी का चरित्र, जैन धर्म के प्रभावक आचार्यों का जीवन आगम और तत्त्वज्ञान के साथ-साथ आगम विषयों पर प्रवचन हुए। इसके अतिरिक्त लोगस्स अनुष्ठान और 27 दिन तक उपसर्गहर स्तोत्र का अनुष्ठान भी सफल रहा। तेरापंथ महिला मंडल द्वारा स्थानीय राजकीय बालिका विद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें समणीवृंद के मौलिक विचारों से प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों में नई प्रेरणा जागृत हुई।
तेयुप ने अभिनव सामायिक और पाश्र्वनाथ जयंती के उपलक्ष्य में अभातेयुप द्वारा आयोजित तप का क्षेत्रीय स्तर पर अनुष्ठान आयोजित किया। ज्ञानशाला की वार्षिक परीक्षा आयोजित हुई, जिसमें सभी ज्ञानार्थियों को पारितोषिक प्रदान किए गए। वर्ष भर की ज्ञानशाला के प्रायोजक रहे स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष रविंद्र जैन, जिन्होंने ज्ञानशाला के लिए अनुदान राशि प्रदान की। नववर्ष पर पारिवारिक क्विज प्रतियोगिता के माध्यम से सभी परिवारों ने जैन ज्ञान, तत्त्वज्ञान, इतिहास और तेरापंथ के विषय में प्रश्नों का समाधान देकर विभिन्न स्तरों पर विजेता बने। सभी परिवारों को रविंद्र जैन ने पारितोषिक प्रदान किए। धर्मचंद बांठिया ने ज्ञानशाला के बच्चों को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किया। समणीवृंद ने अपने प्रवास के दौरान सभी तेरापंथी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर पगलिया कर मंगलपाठ किया।