संतोषरूपी बादल लोभरूपी अग्नि को शांत कर देता है: आचार्यश्री महाश्रमण
सवाऊ पदमसिंह, 21 जनवरी, 2023
तेरापंथ धर्मसंघ के गणमाली आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 8 किलोमीटर का विहार कर सवाऊ पदमसिंह पधारे। महामनीषी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि भारतीय साहित्य और धर्म-साहित्य में कर्मवाद की बात आती है। कर्मवाद एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसका हृदय है-‘जैसी करनी वैसी भरनी, सुख-दुःख स्वयं मिलेगा। प्राणी जैसा करता है, वैसा भरता है। जैसा बोएगा वैसा पाएगा। शास्त्रों में आया है कि कौन-सा कार्य करने से कौन-सा कर्म बंधता है और उसका क्या फल मिलता है। ‘कर भला-होत भला।’ आत्मा ही कर्ता-विकर्ता है, सुख-दुःख की। दुष्प्रवृत्ति में लगी हुई आत्मा शत्रु है। सुप्रवृत्ति में लगी आत्मा मित्र बन जाती है।
जैन दर्शन में आठ कर्म बताए गए हैं। इन आठ कर्म के संदर्भ में हम आदमी के जीवन की व्याख्या कर सकते हैं। स्थिति देखकर कर्म के क्षयोपशम या उदय के बारे में जाना जा सकता है। सब कर्मों की अलग-अलग प्रवृत्तियाँ हैं, वो अलग-अलग प्रभाव बताते हैं। जिसके मन में संतोष आ गया है, उसके तो घर में मानो कल्पवृक्ष हो गया है। कामधेनू उसके घर में है तो समझो हाथ में चिंतामणी रत्न आ गया है। नौ निधियाँ उसके सान्निध्य में रहती हैं। विश्व उसके बस में रहने लायक हो गया। स्वर्ग और मोक्ष की लक्ष्मी उसके लिए तैयार हैं। संतोषरूपी बादल लोभरूपी अग्नि को शांत कर देता है।
नाम, प्रतिष्ठा, मान-सम्मान आदि शुभ कर्म के उदय से मिलती है। हमें बुरे कर्मों से बचने का प्रयास करना चाहिए। हम जैसा व्यवहार करेंगे, वैसा ही हमारे साथ दूसरे भी करेंगे। एक प्रसंग से समझाया कि मौके पर किसी का सहयोग करते हैं, तो उसका प्रतिफल मिल सकता है। परस्पर उपकार हो सकता है। हमें जीवन में सदाचार में रहना चाहिए, बुरे कार्य न करें तो बुरे कर्मों का बंध नहीं होगा।
पूज्यप्रवर ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति को समझाकर स्थानीय लोगों व विद्यार्थियों को नशामुक्त रहने के संकल्प स्वीकार करवाए। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि आचार्यप्रवर श्रुत पारंग हैं। आचार्यप्रवर ने ज्ञान के अथाह समंदर में निमंज्जन किया है। उन्होंने रत्नों को प्राप्त किया है और उन रत्नों को हमारे बीच बाँट रहे हैं। अच्छे जीवन जीने के लिए विद्यार्थी आचार्यप्रवर से कुछ नया सीख सकते हैं। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय उपसभा संयोजक विकास बालड़, उप-संयोजक बजरंग बालड़, तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल ने गीत द्वारा अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।