परिवार कार्यशाला का आयोजन
गुंटुर (आंध्र प्रदेश)।
साध्वी मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में जैन धर्मशाला में ‘कैसे जीएँ आनंद का जीवन?’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि यदि परिवार को स्वस्थ रखना है तो सात वारों को आनंदमय बनाना होगा। यदि आप सुखी रहना चाहते हैं तो जिंदगी में आने वाले बाहरी निमित्तों पर ध्यान न दें। जीवन की छोटी यात्रा का जी-भर आनंद लें। आपके साथ कोई कैसा ही व्यवहार क्यों न करे, आप अपनी अच्छी सोच बनाए रखें। साध्वीश्री जी ने कहा कि पारस्परिक सहनशीलता आनंदमय जीवन के लिए परमावश्यक है। जीवन की अधिकांश समस्याओं का कारण वाणी का असंयम है। बोलने का तरीका बदलें। आनंद के जीवन के लिए अपने व्यवहार को बदलने का संकल्प लें। वर्तमान के जीवन में आने वाली विषम परिस्थितियों से दुखी न हों, भविष्य के प्रति जागरूक बनें, शुभ भविष्य के निर्माण में शक्ति का सम्यक् नियोजन करें।
साध्वीवृंद द्वारा गीत का संगान किया गया। चेन्नई से समागत महिला मंडल कोषाध्यक्ष हेमलता नाहर ने कहा कि चेन्नईवासियों ने साध्वी मंगलप्रज्ञा जी जैसा प्रबुद्ध चातुर्मास प्राप्त किया। आपने घर-घर में अध्यात्म की लौ जला दी। उपलब्धि भरा चातुर्मास हमेशा याद रहेगा। साध्वी राजुलप्रभा जी ने कहा कि हमारे शरीर का प्रत्येक अंग हमें जीवन जीने का सही तौर-तरीका सिखाता है। हमारी सोच सकारात्मक और हृदय विशाल हो। कार्यक्रम का संचालन साध्वी डाॅ0 चैतन्यप्रभा जी ने किया।