उत्कर्ष कैरियर काउंसिल कार्यशाला का आयोजन
कोलकाता
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में 159वें मर्यादा महोत्सव का आयोजन तेरापंथी सभा, कोलकाता द्वारा महासभा भवन प्रज्ञा समवसरण में किया गया। उत्तर हावड़ा से मर्यादा रैली प्रारंभ होकर महासभा भवन में पहुँचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गई। इस अवसर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जैन धर्म का एक धार्मिक संगठन हैµतेरापंथ तेरापंथ एक प्राणवान धर्मसंघ है। जिसका अतीत गौरवशाली, वर्तमान गतिमान व भविष्य उज्ज्वल है। आज्ञा, मर्यादा, अनुशासन प्राण है। इस संघ के प्राण देवता संस्थापक आचार्य भिक्षु हुए। उन्होंने संघ को दीर्घजीवी व तेजस्वी बनाने के लिए प्रथम मर्यादा पत्र वि0सं0 1832 में व अंतिम मर्यादा पत्र वि0सं0 1859 में लिखा। मर्यादा पत्र को आधार बनाकर चतुर्थ आचार्यश्री जयाचार्य ने वि0सं0 1921 में मर्यादा महोत्सव का शुभारंभ किया।
मुनि जिनेश कुमार जी ने आगे कहा कि मर्यादाएँ बंधन नहीं बल्कि जीवन निर्माण की आधारशिला होती हैं। मर्यादा वह मशाल है जो जिंदगी को जगमगा देती है। मर्यादा वह पतवार है जो मझधार में डगमगाती जीवन नौका को पार लगा देती है। मर्यादा जीवन का शंृगार व सुरक्षा कवच है। जिस प्रकार प्रकृति में मर्यादा समाहित है उसी प्रकार व्यति के जीवन में भी मर्यादा का होना आवश्यक है। बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर अतिथि महेंद्र अग्रवाल (त्रुणमूल कांग्रेस, हावड़ा जिला उपाध्यक्ष), तेरापंथी महासभा के आंचलिक प्रभारी तेजकरण बोथरा, जैन श्वेतांबर तेरापंथ विद्यालय सोसायटी के अध्यक्ष भीखमचंद पुलिया, मित्र परिषद के अशोक बैंगानी, तेयुप, कोलकाता मेन के अध्यक्ष ऋषभ सुराणा ने अपने विचार व्यक्त किए।
तेरापंथी सभा, कोलकाता अध्यक्ष अजय भंसाली ने स्वागत भाषण देते हुए अपने विचार व्यक्त किए। टीपीएफ के सदस्यों ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेममं मध्य कोलकाता के मंगलाचरण से हुआ। आभार ज्ञापन मंत्री सुरेंद्र नाहटा ने व संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। इस अवसर पर अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। पार्षद महेश शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे। अतिथियों का सभा द्वारा सम्मान किया गया।