फोन से नहीं अपितु मौन से हो सकता है दिव्यात्मा से संपर्क: आचार्यश्री महाश्रमण
बायतू, 30 जनवरी, 2023
159वें मर्यादा महोत्सव की संपन्नता के पश्चात आचार्यप्रवर धवल सेना के साथ 5 किमी का विहार कर रामसरिया बायतू भोपश्री के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पधारे। संयम के सुमेरु आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि श्रवणेंद्रिय हमारे पास है। पंचेन्द्रिय प्राणियों में श्रोतेन्द्रिय भी होती है। बिना श्रोतेन्द्रिय के पंचेन्द्रियत्व नहीं हो सकता। कान के द्वारा हम अनेक बातों को सुनकर जान लेते हैं। कान और आँख दोनों में तुलना करनी हो तो दोनों में ज्यादा उपयोगी एक दृष्टि से आँख हो सकती है। बिना श्रोतेन्द्रिय के तो कई बार अन्य तरीके से बात जानी जा सकती है। पर आँख न हो तो फिर दुनिया में अंधेरा ही अंधेरा है। आँख नहीं है, तो परवशता है। श्रवण शक्ति कमजोर है तो आँखों से जानकारी हो सकती है।
वैसे कान का भी महत्त्व होता है। श्रवण-शक्ति पटु होती है तो वह दूर से भी बात को पकड़ सकता है। कान का सदुपयोग करें। कान से पवित्र आर्ष वाणी, धर्म वाणी, गुरुवाणी सुनने का प्रयास करें। कानों से दूसरों के दुःख-दर्द को सुनकर उसके प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करें, सांत्वना दें। मदद कर सकें तो मदद कर सामने वाले की तकलीफ दूर करने का प्रयास करें। वर्तमान में तो अनेक प्रकार से ज्ञान की बातें सुन सकते हैं। कान का उपयोग आध्यात्मिक संदर्भ में करें तो कान से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सकता है। फोन का तो दिव्य आत्माओं से संपर्क नहीं हो सकता पर मौन से कभी-कभी संपर्क विशेष भीतरी ज्ञान हो सकता है। दिव्य देवता तीर्थंकरों के दर्शन करा सकते हैं। शास्त्रकार ने सुनने की बात बताई है, हम कान का बढ़िया उपयोग करें। दुरुपयोग से बचें, यह काम्य है।
आज बायतू प्रवास का अंतिम प्रवचन का कार्यक्रम हो रहा है। यहाँ से प्रस्थान भी करना है। बायतू का मर्यादा महोत्सव संबंधी अच्छा प्रवास भी हो गया। बायतू का हमारा प्रोग्राम समापन की ओर है। मुनि रजनीश कुमार जी ने अपनी मंगलभावना अभिव्यक्त करते हुए कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ जैसा कोई पंथ नहीं है। तेरापंथ के आचार्य भी विशिष्ट होते हैं। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे ऐसा शासन मिला है, आगे के जन्मों में भी यही मिलता रहे। पूज्यप्रवर की पुण्याई से सारा कार्यक्रम सानंद संपन्न हो रहा है। पूज्यप्रवर ने मुनि रजनीश कुमार जी के प्रति आशीर्वचन फरमाया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।