आदमी बुराई, हिंसा और निष्ठुरता से बचने का प्रयास करे: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

आदमी बुराई, हिंसा और निष्ठुरता से बचने का प्रयास करे: आचार्यश्री महाश्रमण

जीवाणा, 5 फरवरी, 2023
धीर, वीर, गंभीर आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर अपनी धवल सेना के साथ जालौर जिला के जीवाणा गाँव में पधारे। जीवाणा अनार की खेती के लिए प्रसिद्ध है। अमृत देशना प्रदान करते हुए महामनीषी ने फरमाया कि हमारे पास भाषा की लब्धि है। बोलने की शक्ति का होना भी एक विकास की स्थिति है। अनेक प्राणियों के पास बोलने की लब्धि प्राप्त नहीं है तो अनेक के पास बोलने की लब्धि भी है। हमारी इस दुनिया में आदमी एक विकसित प्राणी है। जो बोलता है, सोचता है, लिखता है। इस दृष्टि से दुनिया का सर्वश्रेष्ठ प्राणी आदमी है। मनुष्य की योनि ही ऐसी है, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। केवल ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
आदमी विकास कर सकता है तो पतन के गर्क में भी गिर सकता है। आदमी में हिंसा के भाव होते हैं, तो अहिंसा के भाव भी होते हैं। निष्ठुरता है तो दया के भाव भी हैं। असद् संस्कार आदमी में हैं तो सद्संस्कार भी मिलते हैं। आदमी बुराई, हिंसा, असद् संस्कार और निष्ठुरता से बचने का प्रयास करें। असद् से सद् की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर तथा मृत्यु से अमरत्व की ओर इस मानव जीवन में बढ़ा जा सकता है। अज्ञान का अंधकार कम हो, ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित हो। केवलज्ञान हो जाता है, तो फिर पूर्णतया प्रकाश होता है। ज्ञानी-ज्ञानी व्यक्ति मिले तो ज्ञान की चर्चा हो सकती है। ज्ञान की चर्चा करने से कुछ उपलब्धि हो सकती है। ज्ञान की चर्चा में अनाग्रह का भाव हो, दुराग्रह होने से सच्चाई की प्राप्ति में बाधा हो सकती है। शोध है, तो पूर्ण धारणा में चिंतन-मंथन से बदलाव किया जा सकता है। बाकी तो केवली जाने वही सत्य है। शोध से अच्छा तत्त्व प्राप्त हो सकता है।
जैन समाज में धार्मिक जागरणा रहे। गोविंदगढ़ से साध्वी प्रसन्नयशा जी आदि दो सतियाँ आई हैं। सतियों में भी विकास होता रहे। साध्वी प्रसन्नयशा जी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। आदर्श विद्या मंदिर स्कूल के प्रधानाचार्य इंद्रसिंह, धीरज गोलेछा, उत्तमसिंह उपासक सोहनलाल कोठारी ने पूज्यप्रवर के स्वागत में अपनी भावना अभिव्यक्त की। प्रवास व्यवस्था समिति द्वारा विद्यालय परिवार का सम्मान किया गया। उपासक सोहनलाल कोठारी (वासी-रीछेड़) ने मेरी जीवन यात्रा के बारे में ‘बढ़ते कदम’ पुस्तक पूज्यप्रवर को समर्पित की। पूज्यप्रवर ने आशीर्वाद फरमाया। सोहनलाल एवं धर्मपत्नी ने कुछ प्रत्याख्यान पूज्यप्रवर से ग्रहण किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।