जीवन के हर कार्य में हो धर्म का समावेश: आचार्यश्री महाश्रमण
बावतरा, 6 फरवरी, 2023
धर्मज्ञाता आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 9 किलोमीटर का विहार कर बावतरा गाँव के राजकीय उ0मा0 विद्यालय में पधारे। उपस्थित परिषद को मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए अध्यात्म विद्या के गुरु ने फरमाया कि आदमी के जीवन में धर्म का समावेश होना चाहिए। जीवन में हमें अनेक प्रवृत्तियाँ करनी होती हैं। प्रवृत्तियों के साथ धर्म को जोड़ने का प्रयास होना चाहिए।जीवन में शांति-समता है तो कर्म भी धर्म प्रभावित हो सकता है। धर्म निरपेक्षता अच्छी बात है, पर जीवन व्यवहार में धर्म होना चाहिए। अनुशासन में रहना चाहिए। कर्तव्य निष्ठा और अनुशासन के बिना प्रजातंत्र का देवता मृत्यु और विनाश को प्राप्त हो जाएगा।
विद्यार्थी स्वानुशाषी हो। निज पर शासन फिर अनुशासन। विद्यार्थियों को अनेक विद्याओं के साथ अध्यात्म विद्या, जीवन विज्ञान को भी सिखाया जाए। जीवन में मैत्री व आत्मानुशासन और नैतिकता-ईमानदारी के संस्कार भी मिले। प्राणियों की हिंसा मत करो। विद्यालय तो ज्ञान आदान-प्रदान का मंदिर है। जीवन में अच्छे गुणों के संस्कार हों। शारीरिक विकास के साथ मानसिक और भावनात्मक विकास भी हो। यह एक प्रसंग से समझाया कि गुरु जो समझाते हैं, उसे ध्यान से सुनकर जीवन में उतारें। भगवान तो सब जगह देखते हैं। पढ़ाई अच्छी होनी चाहिए। अंक मात्र पाने से क्या होगा। हमें योग्यता के आधार पर अंक मिलें। अहिंसा आदि प्रवृत्ति से कल्याण हो सकता है।
परिषद् में उपस्थित सभी लोगों को पूज्यप्रवर ने तीन प्रतिज्ञाएँµसद्भावना, ईमानदारी और नशामुक्ति को समझाकर सभी को स्वीकार करवाई। पूज्यप्रवर के स्वागत में विद्यालय में प्रिंसिपल गणेशाराम चौधरी, बावतरा गाँव के ठाकुर बगतसिंह ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति ने विद्यालय परिवार का सम्मान प्रतीक चिह्न से किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।