जीवन में कल्याण के लिए इंद्रियों पर संयम आवश्यक: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

जीवन में कल्याण के लिए इंद्रियों पर संयम आवश्यक: आचार्यश्री महाश्रमण

डंडाली, 1 फरवरी, 2023
मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमण जी नोसर से 18 किलोमीटर का विहार कर डंडाली ग्राम के राजकीय विद्यालय में पधारे। मंगल देशना प्रदान करते हुए शांतिदूत ने फरमाया कि हमारे शरीर में पाँच इंद्रियाँ हैं। पाँच ज्ञानेंद्रियाँ हैं और पाँच कर्मेन्द्रियाँ भी होती हैं। हाथ-पाँव आदि पाँच कर्मेन्द्रियाँ हैं। इनसे कार्य किया जाता है। श्रोत-चक्षु आदि से ज्ञान होता है। ये पाँच इंद्रियाँ विषयों को ग्रहण करती हैं। प्रत्येक इंद्रिय का एक विषय होता है। श्रोतेन्द्रिय का विषय है, शब्द-उसका कार्य है सुनना। वैसे ही सबके अपने-अपने विषय हैं, कार्य हैं। हमारे पास पाँचों इंद्रियाँ हैं, हम दुनिया के बड़े प्राणी हैं। बड़ों में भी तारतम्य हो सकता है। इन पाँच इंद्रियों से हमारा लाभ भी हो सकता है और नुकसान भी हो सकता है। असंयमित इंद्रियाँ दुष्ट घोड़े के समान हैं। उत्पथ में ले जाने वाली होती हैं। ये इंद्रियाँ काले नाग के समान कर्तव्य-अकर्तव्य, विवेकरूपी जीवन को समाप्त कर देती हैं। ये कुठार के समान पुण्यरूपी वृक्ष खंड को उखाड़ देती हैं। इन इंद्रियों को जीत लो, संयम कर लो तो ये इंद्रियाँ हमारे लिए लाभदायी-कल्याणकारिणी सिद्ध हो सकती हैं।
आचार्यश्री ने एक प्रसंग से समझाया कि इशारों-इशारों में ज्ञान दिया जा सकता है। इंद्रियों को वश में करो तो कल्याण होगा। संयम न रखने से जीवन खराब हो सकता है। इस इंद्रियगण को जीतें तो जीवन शुभमय हो जाएगा। हम इंद्रियों को वश में रखने का प्रयास करें, यह काम्य है। आज यहाँ इस गाँव में आए हैं। पूज्यप्रवर ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्तिµइन तीनों संकल्पों को समझाकर प्रतिज्ञाएँ स्वीकार करवाई। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्कूल के प्रधानाचार्य पुरखाराम, डंडाली सरपंच गुलाबसिंह ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति द्वारा विद्यालय परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने दिया।