मर्यादा महोत्सव के विविध आयोजन
जसोल
सेवा केंद्र व्यवस्थापक तपोमूर्ति मुनि पृथ्वीराज जी स्वामी ने कहा कि भारत की वसुंधरा ऋषि प्रधान है, भारतीय संस्कृति में दो प्रकार की पद्धतियों का प्रचलन हैµश्रमण संस्कृति और वैदिक संस्कृति। इन संस्कृतियों में अनेक पर्व मनाए जाते हैं। श्रमण परंपरा में तेरापंथ धर्म शासन एक प्राणवान, ऊर्जावान, जीवंत जयवंता धर्मसंघ है। सुसंगठित और मर्यादित संघ है। इसके पीछे शासन की गौरवमय गरिमा, आचार्य भिक्षु का त्याग, संयम, साधना और बलिदान है।
आवश्यकता है, मर्यादा के प्रति श्रद्धा। श्रद्धा नहीं होगी तो मर्यादा टूट जाएगी। मर्यादा महोत्सव तेरापंथ का महाकुंभ है, इससे हम पुनः तरोताजा होकर अपने आत्मकल्याण के लक्ष्य और संघबद्ध साधना पर व्यवस्थित प्रस्थान करते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ महिला मंडल के द्वारा मंगलाचरण से हुआ। मुनि जिज्ञासु कुमार जी ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। हुकमाराम बरबड़, रेखाराम गोधारा, सभा मंत्री चमन दुधोड़िया आदि ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप सुराणा ने किया। आभार ज्ञापन विनोद नाहटा ने किया।