हिंसा बनाम अहिंसा कार्यशाला का आयोजन
मध्य उत्तर कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में अभातेममं के निर्देशानुसार मध्य उत्तर कोलकाता तेममं ने ‘हिंसा बनाम अहिंसा कार्यशाला’ का कार्यक्रम अरिहंत आवास में हुआ। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि भगवान महावीर ने अहिंसा व हिंसा दो मार्ग बताए हैंµअहिंसा सुमार्ग है, हिंसा कुमार्ग है। अहिंसा का विकास संयम तप से होता है। हिंसा का विकास असंयम व भोग से होता है। हिंसा में अशांति है, अहिंसा में शांति है। हमेशा हिंसा पर अहिंसा की विजय हुई। अहिंसा भारतीय दर्शन की आत्मा है। अहिंसा संजीवनी औषध है। अहिंसा के विकास से ही व्यक्ति आंतरिक सौंदर्य को प्राप्त होता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि श्रावक कौन होता है जो अल्पारंभी व अल्प परिग्रही है। व्यक्ति के जीवन में हिंसा व परिग्रह का जितना संयम होगा उतना ही वह सुखी होगा। मुनि कुणाल कुमार जी ने मधुर गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ बहनों ने प्रेरणा गीत द्वारा किया। स्वागत भाषण मध्य उत्तर कोलकाता, तेममं की अध्यक्षा संगीता लुणिया व संचालन मंत्री सपना बिरमेचा ने किया। इस अवसर पर तेममं की बहनों द्वारा पोस्टर का अनावरण किया गया।