मंगल मिलन समारोह का आयोजन

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मंगल मिलन समारोह का आयोजन

विजयवाड़ा।
मुनि दीप कुमार जी का विजयवाड़ा में प्रवेश हुआ। यहाँ मुनिश्री का साध्वी मंगलप्रज्ञा जी से आध्यात्मिक मिलन हुआ। साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया। मुनिश्री और साध्वीश्री जी ने एक-दूसरे के प्रति प्रमोद भावना व्यक्त की। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि हमें अपने जीवन में दो केंद्रों की सतत आराधना करनी चाहिए। पहला-आत्मा का केंद्र, आत्म विस्मृति करके हमारी साधना कभी सफल नहीं हो सकती। दूसरा-गुरु का केंद्र, गुरु हमारी साधना रूपी नाव के खैवनहार होते हैं। गुरु निष्ठा हमारी बलवान रहनी चाहिए। साध्वी मंगलप्रज्ञा जी हमारे धर्मसंघ की प्रबुद्ध एवं विदुषी साध्वी हैं। लंबे समय समणी पर्याय में रहीं, बहुत सेवाएँ दी। समणी नियोजिका रहीं, वाइस चांसलर रहीं। हम सभी संघ सेवा करते रहें।
मुनि काव्य कुमार जी ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि ऐसा धर्मसंघ हमें मिला। आचार्यश्री महाश्रमण जी जैसे गुरु हमें प्राप्त हुए। साधु-साध्वियों के मिलन से मन में प्रसन्नता हो रही है। साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि यह मिलन का प्रसंग बहुत हर्ष का होता है। मुनि दीप कुमार जी सेवाभावी संत हैं। इन्होंने शासन गौरव मुनि राकेश कुमार जी स्वामी की बहुत सेवा की। उनके तन की पछेवड़ी बनकर रहे। मुनि काव्य कुमार जी को हमने मुमुक्षु बनाकर भेजा था। आज ये मुनि रूप में हैं। बहुत प्रसन्नता हो रही है। कार्यक्रम में सभा अध्यक्ष अशोक बरमेचा, महासभा प्रभारी नरेंद्र नहारा, विमल बैद, नरपत सेठिया, विनीता कुंडलिया आदि ने मुनिश्री के स्वागत में भावाभिव्यक्ति दी। तेममं ने स्वागत गीत की प्रस्तुति दी। संचालन राजेंद्र कोचर ने किया।