दृष्टि का बदलाव देता है जिंदगी का आनंद
विजयवाड़ा।
तेरापंथ भवन में साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी का अपनी सहवर्तिनी साध्वियों के साथ जुलूस के साथ पदार्पण हुआ। ज्ञानशाला सहित समस्त संस्थाएँ पूर्ण उत्साह के साथ संभागी बनी। इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि वैदिक परंपरा में माना जाता है सृष्टि का निर्माण ब्रह्मा जी ने किया। कहते हैं, ब्रह्मा के मन में प्रश्न उठाµपूछ तो लूँ मेरा कार्य सबको कैसा लगा। सबने अपनी बात बताई, पर हर निर्माण में मानव कुछ न कुछ गलतियाँ निकालता रहा। साध्वीश्री जी ने कहा कि नकारात्मक सोच के कारण व्यक्ति नकारात्मक पदार्थ के प्रति आकर्षित हो जाता है। वर्तमान में अपेक्षा है, ऐसी साधना हो जिससे वर्तमान का पुरुषार्थ फलित हो। अपने व्यवहार से अपना नुकसान न करें। विज्ञान का सिद्धांत हैµजैसा सोचते हैं वैसा घटित हो जाता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानशाला परिवार द्वारा भिक्षु स्तवन के मंगलाचरण से हुआ। तेरापंथ सभा के मंत्री मनोज पुगलिया एवं तेममं मंत्री शशि सेठिया ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किए। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना प्रभारी नरेंद्र नाहटा ने महासभा परिवार की ओर से स्वागत किया। महिला मंडल ने स्वागत में गीत प्रस्तुत किया। तेयुप की ओर से समय नौलखा ने विचार व्यक्त किए। अणुव्रत समिति अध्यक्ष राजेंद्र कोठारी, अणुव्रत समिति के केंद्र प्रभारी विमल बैद ने कहा कि प्रबुद्ध साध्वीश्री जी का हम सभी अधिक-से-अधिक लाभ लेने का प्रयास करें। ज्ञानशाला के बच्चे दीपेश कुंडलिया एवं विधि कुंडलिया ने संवाद प्रस्तुत किया। दुबई में प्रवासित राजेंद्र बैंगानी ने साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी के प्रति अपने भाव संप्रेषित किया एवं आभार व्यक्त किया, साध्वीश्री जी से जुड़े संस्मरणों से संबंधित पत्र का वाचन चंदा चोरड़िया ने किया।
साध्वीवृंद ने सामूहिक संगान से अपनी भावना व्यक्त की। साध्वी राजुलप्रभा जी ने कहा कि हम एक मंजिल विजयवाड़ा पहुँच चुके हैं। साध्वी मंगलप्रज्ञा जी का विजयवाड़ा पदार्पण हुआ है। मंगल और विजय का शुभ संयोग है। यह प्रवास मंगलकारी बने। तेरापंथ सभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कोचर ने कार्यक्रम का संचालन किया।