शासनमाता अष्टम साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी: जीवन-परिचय

शासनमाता अष्टम साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी: जीवन-परिचय

जन्म: वि.स. 1998, श्रावण कृष्णा त्रयोदशी, 22 जुलाई 1941, कोलकाता
दीक्षा: वि.स. 2017, आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा, 8 जुलाई 1960, केलवा
साध्वीप्रमुखा: वि.स. 2028, माघ कृष्णा त्रयोदशी, 14 जनवरी 1972, गंगाशहर
महाश्रमणी अलंकरण: वि.स. 2035, माघ शुक्ला सप्तमी, 3 फरवरी 1979, राजलदेसर
महाश्रमणी पद: वि.स. 2046, भाद्रव शुक्ला नवमी, 1 सितम्बर 1989, लाडनूं
संघमहानिदेशिका: वि.स. 2049, कार्तिक शुक्ला द्वितीया, 8 नवम्बर 1991, लाडनूं
असाधारण साध्वीप्रमुखा: वि.स. 2073, श्रावण कृष्णा चतुर्दशी, 1 अगस्त 2016, गुवाहाटी
शासनमाता सम्मान: वि.स. 2078, माघ कृष्णा त्रयोदशी, 30 जनवरी 2022, लाडनूं
महाप्रयाण: वि.स. 2078, फाल्गुन शुक्ला चतुर्दशी, 17 मार्च 2022, दिल्ली

कर्तृत्व के उजले पृष्ठ

Û आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ और आचार्यश्री महाश्रमण के नेतृत्व में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के साध्वी-समुदाय का 50 वर्षों से अधिक समय तक कुशल संरक्षण एव दिशादर्शन।

Û संयम प्रदान:- साध्वीश्री श्रेयस्करीजी (श्रीडूंगरगढ़) सन् 1999, लाडनूं

Û अनशन का प्रत्याख्यान:

सा. प्रमोदश्रीजी (पड़िहारा)
सा. जसूजी (नोहर)
सा. विनयश्रीजी (लावा सरदारगढ़)
सा.. चम्पाजी (सादुलपुर)
सा. सजनांजी (देशनोक)
सा. श्रेयस्करीजी (श्रीडूंगरगढ़)

Û चाकरी:
सन् 1991-1992, लाडनूं सेवाकेन्द्र

Û यात्रा:
दीक्षा के बाद (लगभग 61 वर्ष) विशेष प्रसंगों/परिस्थितियों को छोड़कर प्रायः गुरूकुलवास में यात्रायित। इस दौरान भारत में अनेक राज्यों तथा नेपाल-भूटान की यात्रा।

विशेष: प्रेक्षा यात्रा:
समय - 51 दिन (फरवरी-मार्च 1992)
स्थान - लाडनूं से बीकानेर
उद्देश्य - सेवाकेन्द्र की देखभाल

आहार संयम साधना:- (विविध प्रयोग)
वि.स. 2026 - 1 अठाई, बैंगलूरू
वि.स. 2029 - 1 तेला, चुरू
वि.स. 2030 - 27 दिन तक सफेद द्रव्य लेना, तेले के साथ अनुष्ठान संपन्न, हिसार
वि.स. 2032 - 1 मास लगातार एकाशन, लाडनंू
वि.स. 2032 तक प्रायः प्रहर (दीक्षा के बाद से)
वि.स. 2033 में वि.स. 2072 तक - सावन मास में प्रहर (वि.स. 2008 को छोड़कर)
वि.स. 2033 में विशिष्ट प्रयोग - 1 अन्न लेना।
वि.स. 2033 से प्रतिसमय 9 से अधिक द्रव्य ने लेने का संकल्प।
वि.स. 2039 से विशेष परिस्थिति को छोड़कर चीनी तथा कड़ाई विगय का वर्जन।
सन् 2008 में - 1 द्रव्य से 15 द्रव्य तक, पुनः व्युत्क्रम से 15 द्रव्य से 1 द्रव्य ग्रहण करना।
सन् 2022 - यावज्जीवन (पानी एवं औषध के अतिरिक्त) प्रतिदिन 15 द्रव्यों की सीमा।

साहित्य साधना:
1. आगम अनुवाद कार्य में सहभागिता
2. 93 पुस्तकों का सम्पादन
3. 51 पुस्तकों का आलेखन
4. जीवन के अन्तिमकाल में तेरापंथ के इतिहास के अंतर्गत आचार्यश्री तुलसी के जीवनवृत्त का आलेखन गतिमान।

स्वाध्याय साधना (कण्ठस्थ राशि)
आगम:
1. दसवेआलियं
2. आयारो
3. पण्हावागरणाइं (संवरद्वार)
4. उŸारज्झयणाणि - 1-16 अध्ययन तथा 32वां अध्ययन
5. सूयगडो का छठा अध्ययन - महावीरत्थुई।

व्याकरण:
1. प्राकृत व्याकरण - तुलसी मञ्जरी (सवृŸिा)
2. संस्कृत व्याकरण - कालू कौमुदी (सवृŸिा)
3. श्रीभिक्षुशब्दानुशासनम् (सूत्र)

संस्कृत शब्दकोश:
अभिधानचिन्तामणि

संस्कृत ग्रंथ एवं काव्य:
1. जैन सिद्धांत दीपिका 2. श्रीभिक्षु न्याय कर्णिका
3. मनोनुशासनम् 4. शान्तसुधारस भावना
5. सिन्दूरप्रकर 6. पंचसूत्रम्
7. दृष्टान्तशतकम् 8. नीतिशतकम्
9. षड्दर्शनसमुच्चय 10. शिक्षाषण्णवतिः
11. चतुर्विशंति गुणगेयगीति 12. कल्याण मंदिर
13. भक्तामर 14. अयोगव्यवच्छोदिका
15. अन्ययोगव्यवच्छोदिका 16. कर्Ÿाव्यट्त्रिंशिका
17. संघषट्त्रिंशिका 18. परमात्म द्वात्रिंशिका
19. रत्नाकर पञ्चविंशिका 20. अष्टकम् एवं स्तोत्र आदि।

प्राकृत पद्यात्मक रचना:
1. आलम्बन सूत्र
2. गौतमकुलकम्

हिन्दी पद्यात्मक रचना:
1. आचार बोध
2. संस्कार बोध
3. व्यवहार बोध
4. श्रावक सम्बोध
5. अध्यात्म पदावली
6. अर्हत् वाणी

राजस्थानी पद्यात्मक:
1. शील की नवबाड़
2. आराधना
3. चैबीसी
4. तेरापंथ प्रबोध
5. तुलसी प्रबोध

तात्त्विक थोकड़े:
1. जैन तत्त्व प्रवेश
2. इक्कीस द्वार
3. बावन बोल
4. लघुदण्डक
5. तेरहद्वार
6. तत्त्वचर्चा
7. कालू तत्त्व शतक
8. 25 बोल
अन्य - अनेक गीतिकाएं, संस्कृत श्लोक, हिन्दी-राजस्थानी पद्य आदि।

प्रस्तुति: साध्वी स्वस्तिकप्रभा