संस्कार निर्माण की बुनियाद है ज्ञानशाला

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संस्कार निर्माण की बुनियाद है ज्ञानशाला

लिलुआ।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में जी0टी0 रोड, लिलुआ में विधिवत ज्ञानशाला शुभारंभ का कार्यक्रम हुगली रेसीडेंसी में हुआ। जिसमें 13 बालक-बालिकाएँ थे।
इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि संस्कार जीवन की बुनियाद है। सद्संस्कारों का ज्ञान वर्तमान युग में अक्षर ज्ञान से भी ज्यादा जरूरी है। इसके बिना किताबी ज्ञान की महत्ता की सुरक्षा कैसे की जा सकेगी। शिक्षा के साथ सद्संस्कारों का ज्ञान जरूरी है। जीवन के सुनहरे सपनों को साकार रूप देने वाला तत्त्व हैµसंस्कार। संस्कारों के जागरण से भाग्योदय, सर्वोदय, आत्मोदय होता है। संस्कारों के संवर्धन, संरक्षण व पल्लवन के लिए ज्ञानशाला जरूरी है। ज्ञानशाला के माध्यम से व्यक्ति चहुँमुखी विकास कर सकता है। ज्ञानशाला आचार्यश्री तुलसी का महत्त्वपूर्ण आयाम है और नौनिहाल पीढ़ी को चारित्रवान बनाने का विशेष उपक्रम है। आज ज्ञानशाला का शुभारंभ हुआ। प्रशिक्षिकाएँ उत्साह व निष्ठा के साथ बच्चों के विकास में सहयोगी बनें।
इस अवसर पर मुनि कुणाल कुमार जी ने विचार रखे। कोलकाता व दक्षिण बंगाल प्रभारी डाॅ0 प्रेमलता चोरड़िया ने ज्ञानशाला के बारे में बताया कि क्षेत्रीय ज्ञानशाला सहयोगी मंजु घोड़ावत, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका बबीता पारख, वंदना बरड़िया, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष प्रमिला बाफना ने विचार रखे। ज्ञानार्थी पारस लुणिया ने गीत का संगान किया। प्रिया डागा एवं मनीषा दुगड़ ज्ञानशाला में सहायक के रूप में सेवा देगी। वंदना बरड़िया को मुख्य प्रशिक्षिका के रूप में मनोनीत किया गया। इस अवसर पर जैन समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।