सुरक्षित रखें संस्कारों की विरासत
बैंगलुरु।
तेयुप के तत्त्वावधान में साध्वी गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में राजकुमार दुगड़, शैषाद्रीपुरम् के निवास स्थान पर ‘सुरक्षित रखें संस्कारों की विरासत’ कार्यशाला आयोजित की गई। मंगलाचरण तेयुप साथियों द्वारा प्रस्तुत किया गया। अध्यक्ष प्रदीप चोपड़ा ने स्वागत वक्तव्य दिया। साध्वी गवेषणाश्री जी ने कहा कि जीवन खान से निकला पत्थर है। उसे तराशने पर प्रतिमा का रूप दिया जा सकता है। किंतु उसके लिए संस्कृति, सभ्यता और सहिष्णुता की अपेक्षा है। व्यक्ति अपनी संस्कृति को भूलता जा रहा है, विकृति का जीवन जी रहा है। खानपान की अशुद्धि ने खानपान को अशुद्ध बना दिया है। हमारी बारहखड़ी अज्ञान से शुरू होती है और ज्ञान के साथ समाप्त होती है।
साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने लिखा है पाश्चात्य संस्कृति टेलर की संस्कृति है और भारतीय संस्कृति कैरेक्टर की है। साध्वी मेरुप्रभा जी एवं साध्वी दक्षप्रभा जी ने गीतिका की प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन कोषाध्यक्ष पवन चोपड़ा ने किया। मंच संचालन अमित भंडारी ने किया। कार्यशाला में मंत्री विकास बाबेल, सहमंत्री विनोद कोठारी, प्रवीण बोहरा, विवेक मरोठी, विमल धारीवाल, आलोक कुंडलिया, प्रतीक जोगड़ और तेयुप साथियों एवं श्रावक समाज की अच्छी संख्या में उपस्थिति रही।