साध्वी गुणश्री जी के प्रति काव्यांजलियाँ

साध्वी गुणश्री जी के प्रति काव्यांजलियाँ


अर्हम्

साध्वी नम्रताश्री 

शासनश्री साध्वी गुणश्री जी, तेरी महिमा अनुपम क्या कहना।
इकहत्तर वर्षों का संयम, तेरी साधना का क्या कहना॥

तेरी सहज सरलता कोमलता, हँसता चेहरा मनहर लगता।
कष्टों में भी कितनी समता, तेरी आत्मशक्‍ति का क्या कहना॥

सेवाभावी मृदु व्यवहारी, गणपति स्यूँ गहरी इकतारी।
जप ज्ञान ध्यान शुभ दिनचर्या, संकल्पशक्‍ति का क्या कहना॥

अद्भुत आकर्षण था गहरा, तेरी सेवा में मन हरा भरा।
संस्कार दिए तुमने गहरे, स्नेहिल ममता का क्या कहना॥

दीक्षा पाई तुलसी कर से, शासनश्री गोरव गुरुवर से।
संयम जीवन उजला तेरा, हर जन-जन व मन का है कहना॥

लय : दुनिया में देव अनेकों हैं---