साध्वी गुणश्री जी के प्रति काव्यांजलियाँ

साध्वी गुणश्री जी के प्रति काव्यांजलियाँ

अर्हम्

साध्वी योगक्षेमप्रभा 

स संगान : साध्वी निर्वाणश्रीजी आदि स

सतिवर गुणश्री जी गुणखान
इत्ती कोई जल्दी मचगी करयो स्वर्ग प्रस्थान॥

सतिवर मोहनाश्री सहयोगी, तन, मन स्यूँ सेवा संजोगी।
जम्यो जमायो बण्यो ठिकाणो, बीदाणै गलतान---

हँसता खिलता निज गुण रमता, ध्यान, जाप, स्वाध्याय सततता।
कृपा कराई, काम कर्यो थे अधरां पर ही तान----

मदन, वसु, गुणी रो थिर---ठाणो, प्रथम पड़ोसी संग सुहाणो।
आतां जातां थे बतलाता, मुख पर मधु मुस्कान----

सोच्यो गुरु री भक्‍ति करस्यो, कार्तिक ने थे लाड लडास्यो।
सावन री बारस दिन मध्ये तज्या देह स्यूँ प्राण----

लय : कितना बदल गया इंसान