शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री जी की वार्षिक पुण्यतिथि पर

शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री जी की वार्षिक पुण्यतिथि पर

साध्वी अमितरेखा

निहारा महाश्रमणी दरबार।
शासनमाता जी से सबको, मिलता स्नेह अपार।।

कोलकत्ता की महानगरी में जन्म हुआ तुम्हारा,
माता-पिता के लाड़-प्यार में बचपन बीता सारा,
चंदेरी का संस्कारी है, पूरा बैद परिवार।।

तुलसी प्रभु के श्री चरणों में संयम पथ अपनाया,
विनय समर्पण देख तुम्हारा, गुरु दिल में हरसाया,
साध्वीप्रमुखा पद का तुमको, मिलता है उपहार।।

तीन-तीन आचार्यों की, किरपा तुमने पाई,
महाशक्ति से ऊर्जा पाकर, रही सदा तरुणाई,
गुरु सन्निधि का स्वप्न निराला, देखो हुआ साकार।।

भक्त उदाई को तारन, जैसे महाप्रभु जी आए,
महाश्रमण भी तीव्र गति से दिल्ली में पधराए,
सहनशीलता बड़ी विलक्षण, भरती है संस्कार।।

लय: यही है जीने का विज्ञान---