नमन करें उस दिव्यात्मा को
साध्वी मधुलता
शासनमाता ने जीवन भर जो वत्सलता बरसाई,
हमने अभिनव ऊर्जा पाई।
नई क्रांति की लहर उठी, दी गण को नभ-सी ऊँचाई
तुम तेरापंथ की तरुणाई।।
पाँच दशक शासन सेवा के रहे उत्तरोत्तर उत्तम,
प्रगतिशील साध्वीगण को नेतृत्व मिला था सर्वोत्तम।
खुले रोशनी के वातायन, प्रतिभा में स्फुरणा आई।।
विनय, विवेक, बौद्धिकता, श्रद्धा का दुर्लभ संयोग मिला,
भाग्य और पुरुषार्थ समन्वित जीवन का उद्यान खिला।
एक निष्ठ गुरु भक्ति विलक्षण, व्यवहारों में गहराई।।
तुलसी युग में गढ़े नए प्रतिमान, नया इतिहास लिखा,
महाप्रज्ञयुग की तुम प्रज्ञामयी प्रखरतम दीपशिखा।
विजयी शासन महाश्रमण का, कीर्ति-पताका फहराई।।
युगप्रधान श्री महाश्रमण ने सर्वाधिक सम्मान दिया,
अमृत महोत्सव पर, ‘शासनमाता’ को पट्टासीन किया।
उग्रविहारी बने, दिए दर्शन, नव रचना दिखलाई।।
नमन करें उस दिवयात्मा को, पल-पल पावन स्मरण करें,
विनयांजलियाँ करें समर्पित, कदमों का अनुसरण करें।
‘अमृतमयी माँ’ तुम बिन मन की पुष्प वाटिका मुरझाई।।
लय: जागो बहनों नव प्रभात----