साध्वी प्रमिला कुमारी

साध्वी प्रमिला कुमारी

शासनमाता तेरी, महिमा सबसे न्यारी।
हर इक दिल में बसी, वो मूरत मनहारी।।

शासन को यों संवारा, नव चिंतन से सझाया,
तेरी विनम्रता ने, विश्वास दीप जलाया।
गुरु के हर इंगित पर, खिल जाती मन क्यारी।।

नेतृत्व शैली तेरी, थी अनुपम और निराली,
नारी शक्ति की धड़कन, तेरे चरणों सदा दिवाली।
तेरी नेह भरी नजरें, लगती सबको प्यारी।।

महाश्रमणी जीवन गाथा, गुण गौरव गीत गाएँ,
श्रम सेवा की कहानी, सदियों तक भूल न पाएँ।
संस्कारों की घँूटी, संपोषण हितकारी।।

पाथेय प्रेरणा का, हर शख्स को दिलाती,
मीठी मृदु वाणी से, अमृत पान कराती।
जन-जन की पीर हरी, समभावी धृतिधारी।।

है मन की यही मुरादें, पदचिÐों पर बढ़ेंगे,
तेरी शिव शिक्षा को, जीवन में वरण करेंगे।
नतमस्तक सारा जहाँ, सब जाते बलिहारी।।

तेरे दर्शन खातिर तरसे, अंखियाँ हमारी प्यारी,
इक बार झलक दिखला दो, सारी दुनिया अभिलाषी।
पावन आभामंडल, था कितना सुखकारी।।

तीन-तीन गुरुओं को, निश्चिंत तुमने बनाया,
साध्वी गण का गौरव, शिखरों पर चढ़ाया।
महाश्रमण भी याद करे, बीती घड़ियाँ सारी।।
(गुरुवर भी याद करे, बीती घड़ियाँ सारी)।

लय: तेरे जैसा यार कहाँ----