संतोष देवी महनोत बनी संथारा साधिका
दिल्ली।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कमार जी ने उदासर निवासी हंसराज महनोत की धर्मपत्नी संतोष देवी महनोत शास्त्रीनगर प्रवासी को आचार्यश्री महाश्रमण जी की आज्ञानुसार पारिवारिक सामाजिक सदस्यों की सहमति से तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान करवाया जो कुछ मिनटों में ही सीज गया। परिवार के सदस्यों के अलावा समाज के भाई-बहनों का बहुत अच्छा सहयोग मिला, जिससे पूरी रात नवकार महामंत्र का जाप एवं गीतिकाओं का क्रम बैकंुठी यात्रा से पूर्व तक व्यवस्थित चला।
उनकी स्मृति सभा दूसरे दिन प्रेम सुखधाम एस0एस0 जैन सभा में मुनि कमल कुमार जी की सन्निधि में रखी गई, जिसमें स्थानकवासी डाॅ0 आचार्य शिवमुनि के आज्ञानुवर्ती पारस मुनि आदि का भी सहज योग मिला। मुनि कमल कुमार जी ने स्वरचित दोहों के माध्यम से अपने विचार प्रकट करते हुए लोगस्स का सामूहिक ध्यान करवाया, पारिवारिक सदस्यों ने उनकी स्मृति में मुनिश्री से विविध प्रकार के प्रत्याख्यान किए उनकी सुपुत्री ने अपनी माताजी का परिचय दिया, प्रवचनोपरांत पूज्यप्रवर का संदेश भी प्राप्त हुआ, जिसे पवन जी चैपड़ा ने सुनाया।