शासनमाता की यादों से----

शासनमाता की यादों से----

शासनमाता की यादों से
महक रहा मन का हर पल्लव
जीवन था जीवंत प्रेरणा
सोच सृजन सब कुछ था अभिनव।

गुरु तुलसी की छत्रछाँव में
जीवन का प्रारंभ शुभंकर
करुणामय सिंचन पथदर्शन
लिखे प्रगति के छंद अनुत्तर/मनोहर
करती रही सदा आरोहण
मिलते रहते नव सोपान
सुविधावाद नहीं मनभाया
श्रम से बनी स्वयं पहचान
पा नेतृत्व निरामय तेरा
शिखर चढ़ा श्रमणी-गण-गौरव।

ब्रह्मसमय में नित्य जागरण
जप-स्वाध्याय साधना चलती
मिलता था आलोक नया जब
ज्ञानदान की बाती जलती।