होली के रंग अध्यात्म के संग

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होली के रंग अध्यात्म के संग

मुप्पावरम्, आंध्र प्रदेश।
होली चातुर्मास-2023 पर ‘होली के रंग, अध्यात्म के संग’ विषय पर मुप्पावरम् के साईं मंदिर में मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि होली पर्व पर होली जलाई जाती है पर अच्छा यह हो कि हम बुराइयों की होली जलाएँ। कषायों की होली जलाएँ। व्यक्ति के भीतर जितनी दुर्गुण रूपी बुराइयाँ हैंµक्रोध, अहंकार, ईष्र्या आदि उनको जलाएँ। मुनिश्री ने होली चातुर्मास का महत्त्व बताते हुए कहा कि होली पर 4 महीनों में हुई गलतियों, भूलों के प्रति क्षमा की प्रेरणा ग्रहण करनी है। ‘होली’ शब्द भी हमें शिक्षा देता है। ‘होली’ यानी जो हो गया उसे भूल जाओ। मुनिश्री ने ‘होली के रंग अध्यात्म के संग’ विषय को प्रायोगिक रूप देते हुए नमस्कार महामंत्र के साथ रंग का ध्यान कराया। इस विषय पर मुनिश्री ने विस्तार से बताया। मुनि काव्य कुमार जी ने कहा कि भारत पर्वों का देश है। होली पर्व से हमें बैर-विरोध की गाँठें खोलने की प्रेरणा लेनी चाहिए।