सद्गुणों से सुरभित होता है जीवन: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सद्गुणों से सुरभित होता है जीवन: आचार्यश्री महाश्रमण

विजापुर, मेहसाणा (गुजरात), 4 मार्च, 2023
जैन तीर्थ विजापुर में महायोगी आचार्यश्री महाश्रमण जी का प्रातः 10 किलोमीटर विहार कर पदार्पण हुआ। स्थानकवासी संत मुनि विनय जी एवं मुनि गौतम जी ने भी पूज्यप्रवर का अभिवादन किया। विजापुर का श्रावक समाज भी उल्लास से पूज्यप्रवर की अभिवंदना में समर्पित था। गुरुदेव ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में सद्गुणों का विकास होता है तो यह जीवन एक प्रकार से सुरभित हो जाता है। जीवन में जितना दुर्गुणों का अंधकार रहता है, जीवन उतना ही कलुषित रह सकता है। सद्गुणों से जीवन में पवित्रता आ जाती है।
विकास की दिशा सही है, तो विकास करना बढ़िया है। लेकिन गलत दिशा का विकास न होना ही ठीक है। विकास का लक्ष्य स्पष्ट रहना चाहिए। गलत दिशा में गति हो जाएगी तो विकास उल्टा हो सकता है। यह एक प्रसंग से समझाया। ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों में अच्छे संस्कार आ सकते हैं, तो बच्चे अच्छे बन सकते हैं। समाज का भविष्य भी अच्छा हो सकेगा। भौतिकता के युग में आध्यात्मिकता के संस्कारों की जरूरत है।
विद्यालयों में जीवन विज्ञान के माध्यम से ज्ञान दिया जाए तो बच्चों में अच्छे संस्कार आ सकते हैं। मंजिल स्पष्ट हो बाद में गति हो। ज्ञान की चीजें आचरणों में भी आए। श्रद्धा और संस्कार अच्छे हों तो ज्ञान आचरण में आ सकता है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप मोक्ष मार्ग है। सम्यग् ज्ञान, दर्शन और चारित्र मिल जाएँगे तो एक मोक्ष मार्ग हो जाएगा। मोक्ष प्राप्त करना है, तो धर्म के रूप में गति आवश्यक है। जो शुद्ध हृदय होता है, ऋजुभूत होता है, उसकी शोधि हो सकती है। छल-कपट दूषण है। ऋजुता, सरलता हमारे जीवन में रहे। ये आत्मा का सद्गुण है। हम जैन शासन में साधना कर रहे हैं। जैन शासन में अनेक संप्रदाय-शाखाएँ हैं। इनमें अनेकता में एकता रहे।
आज श्रमण संघ के साधुओं से मिलना हुआ। आप विहार में भी सामने पधारे, यह आपकी विशेषता है। स्थानकवासी-तेरापंथी आगे जाकर तो पीढ़ी एक ही है। आज बुद्धिसागरजी के नाम से स्थापित स्थान में आए हैं, हम सबकी बुद्धि का विकास होना चाहिए, हमें अपनी बुद्धि का अच्छा उपयोग करना चाहिए। हमारी बुद्धि अच्छी रहे।श्रमण संघ के उपप्रवर्तक गौतम मुनि ‘गुणाकार’ ने कहा कि आज का यह माहौल देखकर आनंद की अनुभूति हो रही है। आचार्यश्री का आना खुशी का विषय है। पलक पावड़े बिछाकर आपका स्वागत करते हैैं। आपश्री जन-जन के आराध्य देव हैं। छोटे-छोटे बच्चों ने तत्त्व ज्ञान के माध्यम से आचार्यश्री का विशेष स्वागत किया। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष कन्हैयालाल चावत, स्थानकवासी समाज से शांतिलाल दक, बुद्धिसागर मंदिर से हितेंद्रभाई, मोहनलाल सुखलेचा ने अपनी भावना व्यक्त की। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद एवं स्थानकवासी महिला मंडल द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया। कन्या मंडल ने अपनी भावना अभियक्त की। ज्ञानशाला की सुंदर प्रस्तुति भी हुई। शेराप्रांत के लोगों ने वर्षीतप के प्रत्याख्यान लिए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।