अनित्य का चिंतन कर अध्यात्म के प्रति जागरूक बनें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अनित्य का चिंतन कर अध्यात्म के प्रति जागरूक बनें: आचार्यश्री महाश्रमण

प्रेक्षा विश्व भारती-कोबा, गांधीनगर, 9 मार्च, 2023
तेरापंथ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी का अहमदाबाद के उपनगर कोबा स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में मंगल पदार्पण हुआ। हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविका समाज अपने आराध्य के स्वागत में पलक पावड़े बिछाए खड़ा था। जैन-जैनेत्तर सभी पूज्यप्रवर के दर्शनार्थ सड़क के चारों ओर प्रतीक्षारत थे। पूज्यप्रवर जगह-जगह आशीर्वाद की अमृत बरसात कर रहे थे। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के अनंतर पट्टधर परम पावन ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी दुनिया में नित्यता भी है और अनित्यता भी है। कोरी नित्यता ही है, ऐसी बात जैन दर्शन को मान्य नहीं है। कोरी अनित्यता ही है, यह भी अर्हत् दर्शन सम्मत नहीं है।
अनेकांतवाद इसी अपेक्षा से नित्यता-अनित्यता यानी नित्यानित्यवाद को मंजूर करता है। एक ही पदार्थ में नित्यता भी है, अनित्यता भी है। उत्पाद, व्यय और घ्रौव्य होता है। पर्याय बदलता रहता है पर पदार्थ में शाश्वतता होती है। धर्मस्तिकाय आदि में जितने प्रदेश हैं वे स्थिर ही रहेंगे कम या ज्यादा नहीं होंगे। परमाणु-पुद्गल दुनिया में जितने हैं, उतने ही रहेंगे। न एक बढ़ता है और न ही एक घटता है। हर जीव की आत्मा के असंख्य प्रदेशात्मक पिंड हैं। जितने प्रदेश हैं उतने ही प्रदेश असंख्य काल पहले थे और आगे भी रहेंगे। पर्याय बदलती रहती है। मूल अणु पंचास्तिकाय के स्थायी हैं। आत्मा और शरीर अलग-अलग है। आत्मा अछेद्य है। अनित्यता का चिंतन है कि कोई स्थायी नहीं है। अनित्यता के चिंतन से मोह चेतना कमजोर पड़ सकती है। प्रत्येक व्यक्ति को सांसारिक अनित्यता का चिंतन करते हुए धर्म-अध्यात्म के प्रति जागरूक होने का प्रयास करना चाहिए।
आज हम प्रेक्षा विश्व भारती में आए हैं। 2002 चतुर्मास के प्रसंग को समझाया। पूज्यप्रवर ने 2025 अहमदाबाद का चतुर्मास प्रेक्षा विश्व भारती में करने की घोषणा की। प्रेक्षाध्यान का प्रयोग पूज्यप्रवर ने करवाया। आत्मा के गुणों का विकास हो। हम आत्म-साक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ें। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि पूज्यप्रवर नए रूप में लंबे अंतराल के बाद प्रेक्षा विश्व भारती में पधारे हैं। श्रद्धा का सैलाब उमड़ रहा है। हम परमात्मा पद को प्राप्त कर सकते हैं और उसके दो माध्यम हैं-गुरु सान्निध्य और सत्संगता। गुरु तो अंधकार में प्रकाश करने वाले होते हैं।
पूज्यप्रवर के स्वागत में प्रवास व्यवस्था समिति से गौतम बाफना, प्रेक्षा विश्व भारती से भैरूलाल चोपड़ा, ध्रुवी गुगलिया, माधुरी बोहरा, धीरज पोकरणा, दीपचंद संचेती, करुणा भंसाली ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। स्वागत गीत की समूह प्रस्तुति हुई। तेरापंथ पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म दर्शायी गई। तेयुप अध्यक्ष अरविंद संकलेचा ने सूचनाएँ दी। पुखराज संकलेचा व गुलाबदेवी के सजोड़े संथारा हुआ था। पारिवारिकजन ने पूज्यप्रवर से संबल प्राप्त किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।