महिलाओं में बौद्धिकता के साथ आध्यात्मिक चेतना और संयम का विकास हो: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

महिलाओं में बौद्धिकता के साथ आध्यात्मिक चेतना और संयम का विकास हो: आचार्यश्री महाश्रमण

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन

बोरिच, गांधीनगर (गुजरात), 8 मार्च, 2023
अहिंसा के अग्रदूत आचार्यश्री महाश्रमण जी का प्रथम बार गुजरात की राजधानी गांधीनगर में पदार्पण हुआ। युगप्रधान परम पावन आचार्यप्रवर ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि जैन शासन में सम्यग् दर्शन, सम्यग् ज्ञान, सम्यग् चारित्र को मोक्ष का मार्ग बताया गया है। उत्तराध्ययन में तप का भी स्वतंत्र नामोल्लेख प्राप्त हुआ है। चतुरंगी मोक्ष मार्ग। मोक्ष मार्ग चार अंगों वाला है। कोरा दर्शन, ज्ञान, चारित्र या तप में से कोई एक है तो मार्ग में परिपूर्णता नहीं आती है। चारों होने से ही परिपूर्णता आती है। इसीलिए मोक्ष मार्ग अध्यात्म जगत का राजमार्ग है।
निर्जरा के लिए तपस्या का महत्त्व है। निर्जरा के सिवाय अन्य कोई भौतिक आशंका के लिए तप मत करो। आत्मा का जो ज्योतिस्वरूप है, उसे तपस्यारूपी अग्नि प्रकट कर देती है। तपस्या के 12 प्रकार बताए गए हैं। जीवन में जितनी संभव हो सके तपस्या भी होनी चाहिए। गुरुदेव ने फरमाया कि आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। तपस्या में श्राविकाएँ हमेशा आगे रहती हैं। जैन शासन में चार तीर्थ होते हैं। उसमें दो तीर्थ महिलाओं के हैं-साध्वी और श्राविका। श्वेतांबर परंपरा में तो साध्वी का विशेष महत्त्व है। हमारे समाज की महिलाएँ ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी हैं। शिक्षा की दृष्टि से देखें, लौकिक-लौकोत्तर शिक्षा की दृष्टि से तो शिक्षा का विकास है, बौद्धिकता है। वैदुष्य को प्राप्त किया है। साध्वियाँ-समणियाँ भी कितना कार्य करती हैं। सभी में चेतना का विकास हो। सिद्धों के पंद्रह भेद पूर्वावस्था के आधार पर हैं। मोक्ष में तो अभेद की दुनिया है। निगोद में देखें तो एक शरीर में अनंत जीव होते हैं। ज्ञानशाला में भी महिलाएँ बढ़-चढ़कर सेवा दे रही हैं। माताएँ बच्चों में अच्छे संस्कार प्रदान करें। गुरुदेव ने यह एक प्रसंग से समझाया।
हमारे समाज की महिलाएँ अच्छी तरह से नेतृत्व संभाल लेती हैं। गुरुदेव तुलसी ने नया मोड़ के माध्यम से महिलाओं के विकास के लिए कितना ध्यान दिया था। साध्वियों का भी बहुत विकास किया था। पूरे विश्व की नारी जाति का विकास हो। हम सब एक हैं। महिलाओं में बौद्धिकता के साथ आध्यात्मिक चेतना व संयम का विकास हो। आज विश्व मैत्री तीर्थ में आए हैं। आध्यात्मिकता का विकास होता रहे। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि महिलाएँ शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए आयाम खोल रही हैं, विभिन्न पदों पर काम कर रही हैं और राजनीति में भी आगे बढ़ रही हैं। महिलाएँ आगे बढ़ें पर मूल को सुरक्षित रखें। अपने-अपने परिवार को संभालते हुए आगे बढ़ें। आगे बढ़ने की शक्ति गुरु से मिलती है।
पूज्यप्रवर के स्वागत में महिला मंडल, वर्धमान महिला मंडल, स्थानकवासी समाज से रमेशभाई गांधी, गांधीनगर स्थानकवासी महिला मंडल, विश्वमैत्री धाम से कमलेश भाई, मूर्तिपूजक समाज से हेमेंद्र भाई शाह ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। धीरज कोठारी, प्रज्ञा, जय कोठारी, सुनीता बांठिया ने भी भावनाएँ व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।