शासनमाता की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित ‘स्मरणांजलि कार्यक्रम’
महरौली, दिल्ली।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी एवं प्रबुद्ध साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में अध्यात्म साधना केंद्र, महरौली के साधनामय प्रांगण में शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी की प्रथम वार्षिक पुण्यतिथि का आयोजन ‘स्मरणांजलि’ का दिल्ली सभा के तत्त्वावधान में किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लोकप्रिय सांसद माननीय लहरसिंह सिरोहिया की उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम में महासभा, अभातेममं, जैन विश्व भारती, अमृतवाणी, जय तुलसी फाउंडेशन, अणुव्रत न्यास, जीतो, भगवान महावीर मेमोरियल ट्रस्ट के वरिष्ठ पदाधिकारियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की भव्यता को शतगुणित कर दिया।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी स्वामी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी पुण्यात्मा थी, भव्यात्मा थी। उस पुण्यात्मा का जन्म कलकत्ता में हुआ नाम कला दिया गया, फिर दीक्षा केलवा में और साध्वी कनकप्रभा बनी। उनके जीवन में ककार का योग था। साध्वीप्रमुखा बनने के बाद पहली दीक्षा भी मेरी हुई। मेरा नाम कमल कुमार। वो कर्मशील थी, श्रमशील थी विनयशील थी, सहज, सरल व निस्पृद थी। समता, ममता व क्षमता की मूरत थी। पचास वर्ष तक वात्सल्य संभृत नेतृत्व कर संघ के हर व्यक्ति के दिल को जीता। संपूर्ण संघ को अपनी ममता से संपोषित किया। सचमुच वो शासन की माता थी। पूज्य गुरुदेव ने शासनमाता का सार्थक संबोधन प्रदान कर उनके कर्तृत्व को अमर कर दिया।
पूज्य गुरुदेव ने चार तीर्थ की उपस्थिति में कार्यक्रम मनाने की अनुज्ञा प्रदान कर हम पर अनुग्रह किया है। मेरे दीक्षा पर्याय के 50 वर्ष में पहली बार साधु-साध्वियों की संयुक्त सन्निधि में यह कार्यक्रम हुआ है। साध्वी अणिमाश्री जी कुशल प्रवचनकार एवं वैशिष्ट्य संपन्न साध्वी है। संघ की प्रभावना करने वाली दक्ष साध्वी है। दिल्ली में विराजित अन्य साध्वियाँ कार्यक्रम में अस्वस्थता के कारण उपस्थित नहीं हो सकी, किंतु साध्वी अणिमाश्री जी ने सबकी ओर से संपूर्ति कर दी है।
साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि अहर्निश वात्सल्य की धारा प्रवाहित करने वाली वो अध्यात्म की पवित्र गंगोत्री थी। जिस स्थल पर उन्होंने देह का विसर्जन किया उसी पुण्य धरा पर हम आज प्रथम पुण्यतिथि मना रहे हैं। उनकी पुनित सन्निधि में आने वाला हर व्यक्ति निश्चिंतता की अनुभूति करता था। वो कुशल पथदर्शिका थी। भूले-भटके साधक का उन्होंने सम्यक् पथ दर्शन किया। उन्होंने अपनी आत्मीय अनुशासना से साध्वी समाज में शक्तिपात किया। उसी शक्ति की बदोलत आज उनका साध्वी समाज विकास के सोपानों पर आरोहण कर रहा है उनकी अनुशासना में साध्वी समाज का कर्तृत्व मुखर हुआ। वर्चस्व स्थापित हुआ एवं नेतृत्व के नए नगमें गूँजित हुए। नैसर्गिक प्रतिभा की धनी साध्वीप्रमुखाश्री जी ने अपने असाधारण कार्यों से त्रय गुरुओं के दिल में गरिमामय स्थान बनाया। आचार्य महाश्रमण जी ने तो उनको असाधारण साध्वीप्रमुखा का संबोध प्रदान कर उनके असाधारण कतृत्व व नेतृत्व को कालजयी बना दिया।
काल के भाल पर सृजन के अमिट हस्ताक्षर करने वाली कालजयी साध्वीप्रमुखाश्री जी की पुण्यतिथि दम उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिवर की सन्निधि में मना रहे हैं। मुनिवर हमारे धर्मसंघ के फरदीसंत हैं। मुनिश्री तो तप की मूरत के साथ-साथ श्रम की मूरत है। आपका श्रम हमारे लिए प्रेरणा है। आपकी प्रमोद भावना मन को आह्लादित करने वाली है। समणी जी के आगमन से आज पाँच तीर्थ की उपस्थिति में यह कार्यक्रम हुआ है। दिल्ली सभा के लिए सौभाग्य की बात है। दिल्ली सभा ने कार्यक्रम की सुंदर संयोजना कर शासनमाता को श्रद्धांजलि अर्पित की है।
समणी विनीतप्रज्ञा जी, साध्वी डॉ0 सुधाप्रभा जी, साध्वी मैत्रीप्रभा जी व मुनि नमि कुमार जी, मुनि अमन कुमार जी ने अपने श्रद्धासिक्त भावों के द्वारा शासनमाता की अभिवंदना की। साध्वीवृद्ध एवं समणीवृंद ने अपने समूह गान का भावपूर्ण संगान कर परिषद को भावविभोर बना दिया। दिल्ली सभा, महिला मंडल व तेयुप सदस्यों ने सामूहिक गीत का संगान कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया ने की। संसारपक्षीय भगिनी निर्मला पुगलिया के संदेश का वाचन पुखराज सेठिया ने व साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी के संदेश का वाचन महिला मंडल अध्यक्षा मंजु जैन ने किया।
सांसद लहरसिंह सिरोहिया, प्रोफेसर रतनलाल महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया, अभातेममं मंत्री मधु देरासरिया, विकास परिषद के संयोजक मांगीलाल सेठिया, कल्याण परिषद के संयोजक के0सी0 जैन, जैन विश्व भारती के महामंत्री सलिल लोढ़ा, अमृतवाणी के अध्यक्ष रूपचंद दुगड़, जय तुलसी फाउंडेशन के मंत्री बजरंग सेठिया, शासनमाता के संसारपक्षीय परिवार से नरपत दुगड़, प्रतिभाधारी श्रावक धनराज बैद, दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया, भगवान महावीर मेमोरियल संपतमल नाहटा, अणुव्रत विश्व भारती के मुख्य न्यासी तेजकरण सुराणा ने अपने श्रद्धामय भावों के द्वारा श्रद्धा का अर्घ्य समर्पित किया। मधुर संगायिका मीनाक्षी भुतोड़िया ने अपनी स्वर-लहरी से कार्यक्रम में समा बाँध दिया। कार्यक्रम का संचालन सभा के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत ने किया।
कार्यक्रम की पूर्व संध्या में उग्रविहारी, तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में गीतांजलि कार्यक्रम हुआ, जिसमें मधुर संगायिका मीनाक्षी भूतोड़िया ने प्रस्तुति दी। प्रातः वात्सल्य-पीठ पर मंत्रांजलि कार्यक्रम हुआ। पूज्यप्रवर द्वारा प्रदत्त मंत्र से पूरा परिसर ऊर्जावान बन गया। मंत्रांजलि कार्यक्रम में मुनिश्री व साध्वीश्री जी का संक्षिप्त व सारगर्भित उद्बोधन हुआ। साध्वी अणिमाश्री जी की प्रेरणा से मंत्रांजलि का कार्यक्रम संपादित हुआ। सैकड़ों व्यक्तियों ने एक साथ मंत्र जापकर दिव्य ऊर्जा का अनुभव किया। तेरापंथी सभा, दिल्ली के तत्त्वावधान में सैकड़ों परिवारों ने साध्वीश्री जी की प्रेरणा से सामुहिक जप कर शासनमाता को श्रद्धा का अर्घ्य समर्पित किया।