दुखों से मुक्ति हो जीवन का लक्ष्य: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

दुखों से मुक्ति हो जीवन का लक्ष्य: आचार्यश्री महाश्रमण

तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा त्रिदिवसीय ‘ग्लोबल कनेक्ट’ का आयोजन

प्रेक्षा विश्व भारती, कोबा, गांधीनगर, 11 मार्च, 2023
ध्यान के महान साधक आचार्यश्री महाश्रमण जी ने प्रातः प्रेक्षाध्यान शिविर के शिविरार्थियों को प्रेक्षाध्यान का प्रयोग करवाया। शिविर के शिविरार्थियों के अलावा भी काफी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति थी। टीपीएफ द्वारा एक कार्यक्रम टीपीएफ ‘ग्लोबल कनेक्ट’ परम पावन की पावन सन्निधि में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गुजरात राज्य के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत थे। इस कार्यक्रम का विषय था-‘क्या हो लाइफ का विजन’।
ऊर्जा के ब्रह्मकमल आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि इस जीवन को अध्रुव कहा गया है। हमारा जीवन शाश्वत नहीं है। जीवन में दो तत्त्वों का योग है-आत्मा और शरीर। आत्मा और शरीर का मिला-जुला एक रूप है, वह जीवन है। कोरी आत्मा है तो जीवन नहीं होता। मोक्ष में केवल शुद्ध आत्मा है, शरीर नहीं। कोरा शरीर है, तो भी जीवन नहीं हो सकता। पार्थिव शरीर में जीवन नहीं है। आत्मा और शरीर का वियुक्त हो जाना मृत्यु है। आत्मा का हमेशा के लिए शरीर से वियुक्त हो जाना मोक्ष है। 84 लाख जीव योनियों में मानव एक अच्छा प्राणी होता है। श्रेष्ठ प्राणी भी मानव को कहा जा सकता है। मानव जीवन का लाइफ स्टेटमेंट क्या हो?
धर्म के संबंध में पूर्व कर्मों का क्षय करने के लिए जीवन धारण करना चाहिए। जीवन का विजन स्टेटमेंट होना चाहिए दुःख मुक्ति। सभी प्राणी दुःख से मुक्त रहना चाहते हैं। प्राणी को दुःख का भय लगता है। दुःख मुक्ति भी दो तरह की होती है-एक तात्कालिक भौतिक सुविधा को पाना। दूसरी आध्यात्मिक साधना से शाश्वत दुःख मुक्ति को पाना। सामान्य आदमी के लिए तात्कालिक मुक्ति अनिवार्य होती है। आज हमारे बीच राज्यपाल महोदय पधारे हैं। हम गुजरात प्रांत की यात्रा कर रहे हैं। जीवन में चार प्रकार का विकास अपेक्षित है-भौतिक विकास, आर्थिक विकास-ये दो विकास महत्त्वपूर्ण और राष्ट्र के लिए आवश्यक भी हैं। तीसरा है-जनता में नैतिकता का विकास और चौथी बात है-आध्यात्मिकता का विकास। नैतिकता के बिना बाह्य विकास में भी बाधा आ सकती है। नैतिकता का विकास चेतना के लिए भी आवश्यक है। आध्यात्मिक विकास से आत्मा राग-द्वेष मुक्त हो जाए। जीवन अच्छा रहे तो कुछ दुःख मुक्ति हो सकेगी। हम सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति का संदेश देकर जनता में जागृति लाने का प्रयास कर रहे हैं। अणुव्रत आंदोलन से भी लोगों का जीवन बदला है।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि क्या खोना है और क्या पाना है, उसका नाम है-विजन। विकास के लिए जिंदगी का विजन जरूर बनाएँ। अहिंसा परमो धर्मः विजन हो सकता है। अहिंसा-मैत्री का अनुचिंतन करें। आचार्यप्रवर अहिंसा यात्रा के माध्यम से अहिंसा-मैत्री का संदेश दे रहे हैं। हमें अपने जीवन को सुंदर और रंगीन बनाना है हमें तो विजन बनाना होगा। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में साध्वी रमावती जी, साध्वी सोमयशा जी, साध्वी कार्तिकयशा जी, साध्वी चैतन्ययशा जी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने गीत की प्रस्तुति दी।
टीपीएफ के कार्यक्रम ग्लोबल कनेक्ट के प्रारंभ में अहमदाबाद टीपीएफ अध्यक्ष राकेश गुगलिया, आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष गौतम बाफना, टीपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज ओस्तवाल ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। राज्यपाल महोदय का प्रतीक चिÐ एवं साहित्य के द्वारा सम्मान किया गया। टीपीएफ सदस्यों ने पूज्यप्रवर से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान पाया। आभार ज्ञापन राष्ट्रीय महामंत्री विमल शाह ने किया। टीपीएफ कार्यक्रम का संयोजन विजय कोठारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ एवं समापन दोनों समय राष्ट्रगान गाया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।