अध्यात्म के महासूर्य भगवान महावीर
शासनश्री साध्वी पानकुमारी (प्रथम)
किसी देश की प्रतिष्ठा नामचीन हस्तियों से नहीं, नामी कंपनियों से, कल-कारखानों से नहीं होती। देश का सुयश होता है, महापुरुषों के चरित्र चिंतन से, ऋषि-मुनियों के अनुभूत सत्यों से सद्भावना, सौहार्द, सामंजस्य साधना जैसे नैतिक मूल्यों के विकास से। हमारा देश महान है। यह ऋषि प्रधान देश है, हमें इसकी अमूल्य अतुल्य विरासत पर गर्व और गौरव है। भारत वसुंधरा का सौभाग्य है जो इस पवित्र धरती को राम और रहीम मिले, बुद्ध और महावीर जैसे महामनस्वी मिले।
भगवान महावीर अध्यात्म के महासूर्य थे। वे जिनशासन के सरताज थे। महाप्रभु महावीर एक मानव बनकर इस भारत भूमंडल में आए। उन्होंने महामानव बनकर जन-जन को लोककल्याण का राजमार्ग दिखाया। चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को क्षत्रिय कुंडग्राम में प्रभु का जन्म हुआ। अतः नेरस का दिन मंगलमय बन गया। महावीर के जन्म से विहार भूमि का क्षत्रिय कुंडग्राम इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया। धन्य है माँ त्रिशला और राजा सिद्धार्थµजिन्होंने ऐसे नर रत्न को पैदा किया। जो चौबीसवें तीर्थंकर के रूप में जैन धर्म के महानायक कहलाए। तीर्थंकर महावीर ने लोक चेतना में ज्ञान की गंगा दर्शन की दीप्ति और चरित्र की चिन्मय चैतन्य लौ प्रज्ज्वलित की। देवाधिदेव की ज्ञान रश्मि, ध्यान रश्मि, भोग रश्मि और प्रयोग रश्मि अद्भुत और विलक्षण है। सत्य शिव सौंदर्य के प्रतिमान भगवान महावीर का नाम पवित्र पावन मंत्राक्षर तुल्य है। जो शुद्ध भावों से भगवान का सुमिरन करता है, उसका कल्याण हो जाता है। अहिंसा अनेकांत और अपरिग्रह के तीन सिद्धांत प्रभु ने मानवता को प्रदान किए। आत्मवाद, कर्मवाद, समतावाद महामना के ऐसे सार्वजनिक आयाम हैं। जिन्हें हम जानें, जीने का प्रयास करें तभी कल्याण संभव है। महावीर जयंती का मंगलप्रभात जन-जीवन के लिए सुप्रभात बने।
किस भाषा में करूँ आज मैं, देव तुम्हारा अभिनंदन।
है सर्वस्व समर्पण तेरे, चरणों में त्रिशला नंदन।।