जैन धर्म का मूल तत्त्व अहिंसा

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जैन धर्म का मूल तत्त्व अहिंसा

बालोतरा।
अभातेममं के निर्देशानुसार तेममं के तत्त्वावधान में ‘हिंसा वर्सेस अहिंसा’ कार्यक्रम शासनश्री साध्वी सत्यप्रभा जी, शासनश्री साध्वी कमलप्रभा जी, साध्वी प्रमोदश्री जी के सान्निध्य में न्यू तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया। महिला मंडल मंत्री संगीता बोथरा ने बताया कि सर्वप्रथम नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। महिला मंडल की बहनों के द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया।
महिला मंडल अध्यक्ष निर्मला देवी संकलेचा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। शासनश्री साध्वी सत्यप्रभा जी ने कहा कि अहिंसा का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्त्व है। जैन धर्म का मूल तत्त्व ही अहिंसा है। साध्वी प्रमोदश्री जी ने कहा कि सब जीव जीना चाहते हैं, मरना कोई नहीं चाहता। हम अपनी थोड़ी-सी सुख-सुविधा एवं फैशन के लिए हिंसात्मक चीजों से बनने वाली वस्तुओं का प्रयोग करते हैं, किंतु इनके बिना भी हमारा जीवन चल सकता है। जैन स्कॉलर विमल गोलेछा ने अध्यात्मिक दृष्टिकोण से अहिंसा का प्रशिक्षण दिया।
महिला मंडल सदस्य मीना ओस्तवाल ने मोनो एक्टिंग के द्वारा वीगन के बारे में विस्तार से बताया। डॉ0 साहब का महिला मंडल के द्वारा सम्मान किया गया। इस अवसर पर अभातेममं सदस्य व मारवाड़ क्षेत्र प्रभारी सारिका बागरेचा, उपाध्यक्ष चंद्र बालड़, रानी बाफना, कोषाध्यक्ष उर्मिला सालेचा, सहमंत्री इंदु भंसाली, रेखा बालड़, प्रचार-प्रसार मंत्री पुष्पा सालेचा, निवर्तमान अध्यक्ष अयोध्या देवी ओस्तवाल एवं अन्य श्रावक गण सहित लगभग 80 भाई-बहन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन व आभार ज्ञापन संगीता बोथरा ने किया।