अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

अवबोध

धर्म बोध
भाव धर्म

प्रश्न 18 ः क्षायोपशमिक भाव के कितने प्रकार हैं?
उत्तर ः क्षायोपशमिक भाव के बत्तीस प्रकार हैंµ
(1) ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम से आठµ(1) मति ज्ञान, (2) श्रुत ज्ञान, (3) अवधि ज्ञान,
(4) मनःपर्यव ज्ञान, (5) मति अज्ञान, (6) श्रुत अज्ञान, (7) विभंग अज्ञान, (8) भणन-गुणन।
(2) दर्शनावरणीय से आठµ(1-5) पाँच इंद्रिय, (6) चक्षु दर्शन, (7) अचक्षु दर्शन, (8) अवधि दर्शन।
(3) मोहनीय से आठµ(1) सामायिक चारित्र, (2) छेदोपस्थापनीय चारित्र, (3) परिहास विशुद्धि चारित्र, (4) सूक्ष्म संपराय चारित्र, (5) देश विरति, (6) सम्यग् दृष्टि, (7) मिथ्या दृष्टि, (8) सम्यग् मिथ्या दृष्टि।
(4) अंतराय से आठµ(1) दान लब्धि, (2) लाभ लब्धि, (3) भोग लब्धि, (4) उपभोग लब्धि, (5) वीर्य लब्धि, (6) बाल वीर्य, (7) पंडित वीर्य, (8) बाल-पंडित वीर्य।

प्रश्न 19 ः पारिणामिक भाव के कितने प्रकार हैं?
उत्तर ः पारिणामिक भाव के दो प्रकार हैंµ
(1) सादि पारिणामिकµदिशादाह, विद्युत्, उल्कापात आदि।
(2) अनादि पारिणामिकµषट् द्रव्य, भव्यत्व, अभव्यत्व, लोक, अलोक। पारिणामिक जीवाश्रित व अजीवाश्रित दोनों होता है।

प्रश्न 20 ः जीवाश्रित पारिणामिक के कितने भेद हैं?
उत्तर ः जीवाश्रित पारिणामिक के दस भेद हैंµ(1) गति, (2) इंद्रिय, (3) कषाय, (4) लेश्या, (5) योग, (6) उपयोग, (7) ज्ञान, (8) दर्शन, (9) चारित्र, (10) वेद।
(क्रमशः)