जय महावीर प्रभु
आओ मिलकर महावीर की, गौरव-गाथा गाएँ हम।
वीतराग प्रभु महावीर को, सविनय शीश झुकाएँ हम।।
जय जय वीर प्रभु जय महावीर प्रभु
चेत सुदी तेरस को माता, त्रिशला के घर जन्म लिया।
जन्मोत्सव पर देवराज ने, देखो उत्सव खूब किया।
महाराजा सिद्धार्थ ने भी, खुश हो सबको दान दिया।
नर-नारी सारे हैं हर्षित, पुलकित सबका आज जिया।
कहते हैं सारे पुरवासी, मिलकर मोद मनाएँ हम।
वीतराग प्रभु महावीर को, सविनय शीष झुकाए हम।।
जय जय वीर प्रभु जय महावीर प्रभु
वसुंधरा का कण-कण प्रमुदित, बज रही चिंहुदिशि शहनाई।
आज चमन में नई बहारें, कलि-कलि है विकसाई।
सजी हुई है दशों दिशाएँ, थिरक रही है अरुणाई।
वंदनवार सजे हैं घर-घर, अधर-अधर खुशियाँ छाई।
जन-जन के मन बोल रहे हैं, नूतन साज सजाए हम।
आओ मिलकर वीरप्रभु की, गौरव गाथा गाएँ हम।
जय जय वीर प्रभु जय महावीर प्रभु।।
सारी सुख-सुविधाएँ तज कर, संयम-पथ पर चरण धरे।
आत्म-गौरव को पाने खातिर, कष्टों से वे नहीं डरे।
ध्यान-साधना घोर तपस्या, कर्मों का संहार करे।
जो भी ध्याए ध्यान प्रभु का, शाश्वत-सुख को सदा वरे।
तन्मय बनकर महावीर का, आओ ध्यान लगाएँ हम।
वीतराग प्रभु महावीर को, सविनय शीष झुकाएँ हम।
जय जय वीर प्रभु जय महावीर प्रभु।।
समता ही है धर्म हमारा, महावीर ने बतलाया।
समतामय हो कर्म हमारा, महावीर ने सिखलाया।
रोम-रोम में जागे समता, यही पंथ है दिखलाया।
जीव-जगत के साथ मित्रता करना सबको समझाया।
मैत्री, समता, संयम द्वारा शिव-रमणी को पाएँ हम।
वीतराग प्रभु महावीर को, सविनय शीष झुकाए हम।
जय जय वीर प्रभु, जय महावीर प्रभु।।
लय: वंदे मातरम् वंदे मातरम्----