अर्हम

अर्हम

अर्हम
सद्गुण सुमनों से सुरभित था जीवन
शासनमाता को, करते शत-शत वंदन
तेरी महिमा अपरंपार, जग सारा यह गाए
तेरी गौरव गाथा, गुण गा गा हरषाये
तेरा नाम रटते जाएँ, सिमरन करते जाएँ।
सिमरन करते जाएँ, तेरा नाम रटते जाएँ।।

छोटी-सी वय में साध्वीप्रमुखा पद पाया
जीवन सफर को शानदार था बनाया
सुंदर आभामंडल तेरा, सबके मन भाए
तेरे उपकारों को हम, भूल न पाएँ
अद्भुत कहानी तेरी आज सुनाएँ।।

नारी से देवी का रूप था तुझ में
स्वर्ग लोक से उतरी, इस तेरापंथ संघ में
गण गणपति के प्रति आस्था गहरी, तेरी भक्ति सराएँ
कैसे हो विकास गण का सपना संजोया
एक-एक साध्वीश्री का हौसला बढ़ाया।।

शासनमाता का अलंकरण तुमने पाया
दिल्ली महरौली में अंतिम प्रवास पाया
छोड़ा श्वास गुरु चरणों में, सब तेरा भाग्य सराएँ
होली का शुभ अवसर तुझको है भाए
प्रथम पुण्य तिथि है आई कुसुम चढ़ाएँ।।

तेरी वो बातें अब यादें बन गई, बीती जो घड़ियाँ स्मृति पटल पे रह गई
तेरी मूरत तेरी सूरत रह-रह, याद आए सुर ताल कुछ ना जानू बस तुमसे प्रीत है
जो भी निकला भाव दिल से वही मेरा गीत है।।

लय: चाहा है तुझको---