अर्हम

अर्हम

अर्हम
श्रद्धा से शासनमाता, हम नाम तेरा ध्याये।
अजपाजप मंत्र तेरा, हम रोज गुनगुनाएँ।।

इमरतमयी तेरी वाणी, हर शब्द बने वरदानी,
स्नेह भरा जिकारा, दुनिया थी जिसकी फानी,
प्यारे हैं सबके मानस, संदेश सुधा पिलाएँ।

अनुभवों के नीर से, सींचा था इस चमन को,
वात्सल्य अपना लुटाया, जीता था सबके मन को,
दर्पण है मन का सना, बस याद तेरी आए।

मेरा जीवन मेरा दर्शन, तेरी अमर निशानी,
लेखन हो चाहे भाषण, करे ना कोई सानी,
पौरुष के पुण्य प्रकाश तुमको आज हम बुलाएँ।

तब जीवन से पाएँ, कितनी ही प्रेरणाएँ,
उन प्रेरणाओं से हम, निज जिंदगी सजाएँ,
नव रंग भरके सबमें, साहस नया जगाएँ।

लय: आए हो मेरी जिंदगी----