महावीर के साधना पथ का अनुसरण करें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

महावीर के साधना पथ का अनुसरण करें: आचार्यश्री महाश्रमण

2622वें महावीर जन्म कल्याणक दिवस का आयोजन

बोरियावी (खेड़ा-गुजरात), 3 अप्रैल, 2023
चैत्र शुक्ला त्रयोदशी, वर्तमान अवसर्पिणी काल के अंतिम चौबीसवें तीर्थंकर परम प्रभु शासन देव भगवान महावीर का जन्म कल्याणक दिवस। आज ही के दिन राजा सिद्धार्थ के घर माँ त्रिशला की पावन कुक्षी से वर्धमान का अवतरण हुआ था। आज पूरा देश भगवान महावीर का 2622वाँ जन्म कल्याणक दिवस मना रहा है। भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि चैत्र मास का शुक्ल पक्ष और त्रयोदशी तिथि भगवान महावीर की जन्म जयंती का दिन। हमारी दुनिया में आदमी पैदा होते हैं, जीवन जीते हैं और एक दिन चले जाते हैं।
जन्म और मृत्यु के बीच का जीवन काल बड़ा महत्त्वपूर्ण है कि इस जीवन काल में जीवन कैसे जीया? जीवन अच्छा जीया है, बहुत अच्छा कृतत्व किया है, तो मानना चाहिए कि जीवन सुफल हो गया। भगवान महावीर भी एक बच्चे के रूप में जन्मे थे। करीब 72 वर्ष का उनका जीवन काल था। पर जो जीवन काल उनका साधना काल व केवल ज्ञान का वह विशेष था। वे तो सार्वज्ञानिक थे। भगवान महावीर ने साधना और अध्यात्म का जीवन जीया और वे अध्यात्म के प्रवक्ता थे। आगम के आधार पर देखें कि भगवान गौतम ने अनेक जिज्ञासाएँ की थीं। उनके प्रश्नों के उत्तरों के आधार पर हमें कितना ज्ञान प्राप्त हो रहा है। ईसापूर्व 599 वर्ष और विक्रम पूर्व 542 वर्ष के समय उनका प्राकट्य हुआ था। वे निरंतरायता को उपलब्ध हुए। आगम के आधार पर हम भगवान महावीर को जान सकते हैं।
भगवान महावीर या जैन दर्शन के अनेक सिद्धांत हैं उनमें कर्मवाद एक व्यापक सिद्धांत है। उसके ज्ञान से वैराग्य वृत्ति का भी विकास हो सकता है। अनेकांतवाद व आत्मवाद का भी सिद्धांत है। पुनर्जन्मवाद भी आत्मवाद का एक सिद्धांत है। मूल पाठ तो आगमों का सामने आ चुका है। अनुवाद-टीपण रूप में भी कई आगम आ चुके हैं या आने की तैयारी में हैं। सारे आगम इस रूप में सामने आ जाएँ तो जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ का एक कार्य पूर्ण हो सकेगा। अनेक चारित्रात्माएँ व व्यक्ति इस कार्य में लगे हुए हैं। यह कार्य समय और श्रम माँगता है। भगवान महावीर जयंती के दिन ही गुरुदेव तुलसी ने आगम संपादन के कार्य करने की घोषणा करवाई थी। सारा कार्य निष्ठापूर्वक सामने आ जाए तो एक अच्छी निष्पत्ति आ सकती है। भगवान महावीर के ध्यान के आधार पर ही प्रेक्षाध्यान का नामकरण लगभग आधी शताब्दी पहले जयपुर में घोषित हुआ था। गुरुदेव तुलसी ने अणुव्रत को भी एक व्यापक रूप प्रदान कर दिया। कोई भी आदमी अणुव्रत को स्वीकार कर सकता है। अणुव्रत यात्रा भी चल रही है। जीवन विज्ञान का उपक्रम भी चल रहा है।
महावीर जयंती के दिन अनेक संप्रदायों के लोग इस प्रसंग से एक साथ जुड़ जाते हैं। भगवान महावीर की साधना का सार हैµअहिंसा, संयम और तप। हम भी साधना की दृष्टि से जितना संभव हो सके, आगे बढ़ने का प्रयास करें। चतुर्विध धर्मसंघ में ये संस्कार बढ़ते रहें। समण श्रेणी द्वारा विदेशों में भी संस्कारों एवं तत्त्व ज्ञान से जुड़ने का अवसर मिला है। अच्छी बातें और यथार्थता व अनेकांत का विकास होता रहे। अनेकांत में समन्वय की बात है। इसका मतलब यह नहीं है कि हर बात सही ही होगी। अपना-अपना चिंतन हो सकता है। तत्त्व बोध की बात को हम समझने का प्रयास करें कि किस अपेक्षा से बात कही गई है। हमारे साधुओं में ज्ञान का, साधना का और वकृत्व कला का भी यथायोग्य विकास होता रहे।
आज सरदार पटेल के नाम से बने विद्या संस्थान आए हैं। यहाँ विद्या के विकास के साथ जीवन विज्ञान, अच्छे संस्कारों का भी विकास होता रहे। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने कहा कि हम अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हैं कि हमें इस वैज्ञानिक व टेक्लॉलोजी के युग में भगवान महावीर के दर्शन को समझने, जानने का अवसर मिल रहा है। जीवन की सफलता का सबसे बड़ा सूत्र हैµजागरूकता। बिरले लोग ऐसे होते हैं, जो भीतर और बाहर दोनों ओर से जागरूक होते हैं। भगवान महावीर ऐसे ही विरले व्यक्तित्व थे। उनकी साधना का काल जागरूकता का काल था।
साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि अनेकांत में समन्वय की बात है, जहाँ भिन्न-भिन्न वस्तुओं में एकत्व देखा जा सकता है। वस्तु अनंतधर्मा होती है और देखने की दृष्टियाँ भी भिन्न होती हैं। एकांगी दृष्टि से सत्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। सत्य को प्राप्त करने के लिए अनेकांत की दृष्टि से देखना होगा। मुख्य मुनि महावीर कुमार जी ने कहा कि भगवान महावीर ने साधना करके मानव से महामानव के प्रतिमान को साकार किया। वे एक महान वैज्ञानिक थे, उन्होंने भीतर की खोज की। उन्होंने अपने भीतर केवलज्ञान, केवलदर्शन को जागृत कर अति सूक्ष्म रहस्यों को जनता के सामने प्रस्तुत किया, जो कि आज के वैज्ञानिकों के लिए भी बहुत बड़ा चिंतनीय विषय बना हुआ है।
पूज्यप्रवर के स्वागत में हिमांशु बेगवानी, वीणा देवी, मिहिका बेगवानी, सरदार पटेल कॉलेज से अल्पेश भाई शाह ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति की ओर से अल्पेश भाई का सम्मान किया गया। पूज्यप्रवर प्रातः लगभग 13 किलोमीटर का विहार कर बोरियावी के सरदार पटेल कॉलेज में प्रवास हेतु पधारे। आणंद शहर पास में ही है। प्रवचन से पूर्व कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ मुनि मनन कुमार जी ने अणुव्रत के बारे में चर्चा-वार्ता कर अणुव्रत को विस्तार से समझाया।