ज्ञान के अथाह सागर से मोती चुनें: आचार्यश्री महाश्रमण
नडियाड बाहर, 2 अप्रैल, 2023
तेरापंथ के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण जी सूरत की ओर अग्रसर हैं। प्रातः लगभग 13 किलोमीटर का विहार कर परम पावन नडियाड के श्री बंगलो सोसायटी के परिसर में पधारे। मंगल देशना प्रदान करते हुए पूज्यप्रवर ने फरमाया कि ज्ञान के विषय भी बहुत हैं। अपने-अपने ग्रंथों में अनेक ज्ञान की बाते हैं। साधारण मनुष्यों में पूरी दुनिया में कौन ऐसा आदमी होगा जो सारे ग्रंथों को पढ़ चुका होगा? भाषाएँ भी अनेक हैं। शब्दों-अक्षरों से ग्रंथ बनते हैं। शब्द तो अपने आपमें जड़ हैं, पर उन शब्दों में जो अर्थ निहित है, उसका बड़ा महत्त्व है। अर्थ के लिए शब्द है। पर इन सबको कब तक पढ़ें, काल सीमित है। बीच-बीच में विघ्न-बाधाएँ आ सकती हैं, पर सारभूत बातों को पढ़ लो।
श्रुत केवली आचार्य शंयम्भव ने अपने शिष्य पुत्र के लिए सार रूप में दसवेंआलियं आगम की रचना की थी। इसमें साधु-जीवन की उपयोगी बातें हैं। ज्ञान पाने के लिए प्रयत्न भी करें, पढ़ें, समय लगाएँ, ज्ञान में मन लगाएँ। रटना चाहिए। व्यक्ति परिश्रम करे तो ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है। ज्ञान के साथ-साथ अनुप्रेक्षा, चिंतन-मनन भी होता रहे। जयाचार्य प्रज्ञा पुरुष थे। उन्होंने कितना ज्ञान ग्रहण किया होगा। पढ़ने में आगे बढ़ना है तो नींद को ज्यादा बहुमान न दें। आलस्य में न रहें। सदा स्वाध्याय में रत रहो, प्रमाद मत करो। ज्ञानी लोगों से ज्ञान ग्रहण करने का प्रयास करें। ज्ञान के प्रति सम्मान रखें। दूसरे के ज्ञान प्राप्त करने में बाधा नहीं डालनी चाहिए।
ज्ञान से प्रकाश मिलता है, पथ आलोकित हो जाता है। ज्ञान आ जाए तो उसका आचरण भी हो सकता है। अज्ञान का अंधकार दूर हो, अज्ञान का अनुभव करना भी अच्छी बात है। जो अपने अज्ञान को जानता है, वह सबसे बड़ा ज्ञानी होता है। हम ज्ञान के क्षेत्र में स्वाध्याय, परिश्रम व चिंतन-मनन के द्वारा आगे बढ़ने का प्रयास करें। आज हम श्री बंगलों में आए हैं। हमें भी शाश्वतता प्राप्त हो। यहाँ भी धर्म के प्रति जागरणा रहे। हमारे संत भी ज्ञान का कार्य करते आए हैं। पूज्यप्रवर के स्वागत में नडियाड से सुशील भटेवरा, प्राची, कन्या मंडल, स्थानकवासी समाज से सज्जन दुगड़, साजन चोपड़ा, राजुभाई पटेल ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। तेरापंथ महिला मंडल द्वारा गीत की प्रस्तुति की गई। श्री बंगलो सोसायटी के निवासियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।