ज्ञान प्राप्ति का उत्तम साधन है श्रोतेन्द्रिय: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

ज्ञान प्राप्ति का उत्तम साधन है श्रोतेन्द्रिय: आचार्यश्री महाश्रमण

अक्षय तृतीया हेतु सूरत व्यवस्था समिति ने किया दायित्व स्वीकरण

अमराईवाड़ी ओढ़व, अहमदाबाद 29 मार्च, 2023
तेरापंथ के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण जी का अहमदाबाद के 21 दिवसीय प्रवास का शिखर दिन। परमपावन लगभग 7 किलोमीटर का विहार कर अमराईवाड़ी क्षेत्र के सिंघवी भवन में विशाल जुलूस के साथ पधारे। सूरत से लगभग 2100 लोग दायित्व हस्तांतरण हेतु पहुँचे। महामनीषी ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे शरीर में पाँच ज्ञानेंद्रियाँ हैं, उनमें एक इंद्रिय जो पंचेन्द्रिय होने का प्रमाण है; वह है श्रोतेन्द्रिय। इस इंद्रिय के बिना कोई जीव पंचेन्द्रिय नहीं हो सकता। यह है, तो जीव पंचेन्द्रिय ही है। इंद्रियों की दृष्टि से सर्वाधिक विकसित प्राणी श्रोतेन्द्रिय वाला ही होता है।
हमारे जीवन में हम सुनते भी कितना हैं। सामान्य रूप से आदमी बोले कम, सुने ज्यादा। श्रोतेन्द्रिय ज्ञान प्राप्ति का एक अच्छा साधन है। आदमी सुनकर कल्याण को जानता है और पाप को भी जान लेता है। अच्छा-बुरा जानने के बाद जो श्रेय है, उसका आचरण करना चाहिए। पाप से बचने का प्रयास करना चाहिए। गांधीजी के तीन बंदर जो बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो और बुरा मत सुनो के उदाहरण हैं। चौथी बात है बुरा सोचो मत। साधु जो साधनाशील एवं ज्ञानवान है, ऐसे साधु के मुख से आर्षवाणी की बातें सुनने को मिलती हैं तो कान भी धन्य हो जाते हैं। पवित्र वाणी कानों की अतिथि बनती है।
साधु की पर्युपासना करने से प्रवचन श्रवण को मिलता है। श्रवण से ज्ञान, विज्ञान का विकास होते हुए मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। साधु की वाणी कल्याणी हो सकती है। ये माया साथ में जाने वाली नहीं है, यह एक प्रसंग द्वारा समझाया। संतों-गुरुओं की वाणी दिशा और दशाओं को बदलने वाली हो सकती है। हमारे 21 दिवसीय प्रवास का लोगों ने अच्छा लाभ उठाने का प्रयास किया है। हमें अब सूरत-मुंबई की ओर आगे बढ़ना है। 21 वर्षों बाद पुनः अहमदाबाद की यात्रा हो रही है। जितना आध्यात्मिक-धार्मिक प्रचार-प्रसार व सेवा हो सके, करते रहें। आदमी को धैर्य से सुनना चाहिए। सुनकर लाभ उठाने का प्रयास करें।
आज अमराईवाड़ी-ओढ़व आए हैं। यहाँ साध्वी सरस्वती जी का पिछला चातुर्मास हुआ था। ये मुनि राजेंद्र कुमार जी की बहन हैं। खूब अच्छा काम कर रही हैं और करती रहें। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि दुर्लभता के बारे में बताया गया है कि इंद्रिय विषयों का निग्रह, तत्त्व ज्ञान और सहज अवस्था को प्राप्त करना दुर्लभ है, पर ये सुलभ हो सकते हैं, जब गुरु का अनुग्रह प्राप्त हो जाता है। गुरु प्राप्त होने पर ही आदमी असंभव को संभव बना सकता है। भारतीय संस्कृति में गुरु का सर्वोच्च आसन बताया गया है। हमें ऐसे गुरु प्राप्त हुए हैं, जो हमारे कल्याण की बात करते हैं।
पूज्यप्रवर की अभिवंदना में नरेंद्र चपलोत ने गीत प्रस्तुत किया। उपासक अरविंद डोसी, उपासिका मंजु गेलड़ा, सज्जनराज सिंघवी ने अपने-अपने भाव व्यक्त किए। तेरापंथी सभा के मंत्री गणपत हिरण, सभाध्यक्ष रमेश पगारिया, महिला मंडल अध्यक्षा संगीता सिंघवी, तेयुप अध्यक्ष हेमंत पगारिया, वर्धमान स्थानकवासी संघ से पुखराज कूकड़ा ने अपनी-अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त की। महिला मंडल ने गीत प्रस्तुत किया एवं ज्ञानशाला की सुंदर प्रस्तुति हुई। दिगंबर समाज से जनरल जैन ने भावना व्यक्त की। उनका सम्मान किया गया।
शिल्पा भंसाली व नीता भंसाली ने 30 की तपस्या के प्रत्याख्यान पूज्यप्रवर से ग्रहण किए। अहमदाबाद की सभी संस्थाओं ने विदाई गीत का सुमधुर संगान किया। साध्वी सरस्वती जी ने समझाया कि अमराईवाड़ी में आज अकल्पित महक आ रही है। गुरुदेव के संयम की खुशबू से शिलाएँ भी महक उठती हैं। दायित्व हस्तांतरण का आयोजन
आज सूरत (जहाँ आगामी अक्षय तृतीया व अनेक कार्यक्रम आयोजन होने वाले हैं) से लगभग 2100 श्रावक-श्राविकाएँ पूज्यप्रवर की सेवा का दायित्व ग्रहण करने आए।
अहमदाबाद प्रवास व्यवस्था समिति से गौतम बाफना ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। सूरतवासियों ने समूह गीत से अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर ने मंगलपाठ सुनाया और सूरतवासियों ने अहमदाबादवासियों से दायित्व ग्रहण किया। पूज्यप्रवर ने अमराईवाड़ी क्षेत्र में वर्षीतप करने वालों को इस वर्ष के प्रत्याख्यान करवाए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।