सुखी जीवन के रहस्य कार्यशाला का आयोजन
रिसड़ा, हुगली।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में सुखी जीवन के रहस्य विषय पर कार्यशाला तेरापंथ सभा में आयोजित हुई। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि अपनी आत्मा ही कर्ता है, अपनी आत्मा ही भोक्ता है। अपनी आत्मा ही सुख देने वाली है, अपनी आत्मा दुःख भी देने वाली है। सत्प्रवृत्ति में लगी आत्मा सुख को प्राप्त होती है। जो कलात्मक ढंग से जीवन जीते हैं वे सुखी होते हैं। सुखी जीवन श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए वर्तमान में जीना, इच्छा संयम, अनासक्ति, विनम्रता, संतुलन संयम, सकारात्मक सोच, प्रसन्नता ध्यान, स्वाध्याय सत्संगत इन सूत्रों की आराधना करनी चाहिए। मुनिश्री ने आगे कहा कि प्रसन्न रहने से सभी दुखों की हानि होती है। आत्मा को हमेशा प्रसन्न रखें।
मुनिश्री ने कहा कि इच्छाओं का जितना संयम होगा, उतना ही जीवन सुखी होगा। इच्छाओं का संयम करना चाहिए। मुनि परमानंद जी ने कहा कि शुद्ध विचार व संतुलित मानसिक विकास से व्यक्ति का जीवन सुखी हो सकता है। मुनि कुणाल कुमार जी ने गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुरेंद्र बैद व उपासक प्रकाश सुराणा ने अपने विचार व्यक्त किए। उपासक सुशील बाफना ने जैन विद्या व कोलकाता तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अजय भंसाली ने महावीर जयंती के संदर्भ में जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।