आहट उजले कल की, रजत उत्कर्ष पार्ट-2 का आयोजन
घाटकोपर।
साध्वी निर्वाणश्री जी के सान्निध्य में रजत उत्कर्ष पार्ट-2 का आयोजन किया गया। ‘आहट उजले कल की’ कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए साध्वी निर्वाणश्री जी ने कहा कि सुमंगल साधना श्रावक समाज को आचार्यश्री महाश्रमण जी का अनुपम वरदान है। यह जीवन-भर की विशेष साधना है। हर व्यक्ति का आत्मबल जगे यह संभव नहीं पर तीन प्रतिमा की साधना छह महीने की आंशिक साधना है।
साध्वी डॉ0 योगक्षेमप्रभा जी ने कहा कि सम्यक् दर्शन का दीया जगे बिना उजाला नहीं होगा। ज्ञान और चरित्र तभी सम्यक् होंगे जब दर्शन विशुद्ध होगा। दर्शन विशुद्धि के अनंतर व्रतों का मार्ग खुलता है जो मोक्ष की ओर ले जाता है। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई, जिसे रंजना बाफना ने प्रस्तुति दी। उत्कर्ष के संयोजक रतन सियाल, तेरापंथ सभा, मुंबई के कार्याध्यक्ष नवरतनमल गन्ना, शांतिलाल बाफना व हस्तिमल डांगी ने प्रासंगिक अभिव्यक्ति दी। मंच संचालन सह-संयोजक तेजराज बंबोली ने किया। इस अवसर पर सम्यक् दर्शन प्रतिमा से जुड़ने वालों की संख्या 58 हो गई। कार्यशाला अत्यंत सफल रही।