भगवान महावीर जयंती पर कार्यक्रमों के आयोजन

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भगवान महावीर जयंती पर कार्यक्रमों के आयोजन

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महावीर जयंती के अवसर पर प्रातः प्रभात फेरी का आयोजन किया गया। तेरापंथ के अलावा दूसरे समुदाय के लोगों ने भी इसमें भाग लिया। कार्यक्रम का प्रारंभ मुनिश्री के णमोकार महामंत्र के संगान से हुआ। शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने कहा कि चैत्र शुक्ला 13 का दिन मानव जाति के अभ्युदय का दिन कहा जा सकता है। आज से 2622 वर्ष पहले इसी दिन युगपुरुष महावीर के त्रिशला क्षत्रियाणी की कुक्षी से जन्म लिया था। राजा सिद्धार्थ ने महावीर के गर्भ में आने के साथ ही राजकोष में धन-धन्य की अपूर्व वृद्धि देखी तो गुणानुरूप वर्धमान नाम से उनको पुकारा जाने लगा। 
महावीर ने अहिंसा का उपदेश तो ज्ञान प्राप्ति के बाद दिया था, किंतु गर्भावस्था में ही उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को साकार कर दिया था। उन्होंने संकल्प ले लिया कि मेरे माता-पिता जब तक जीवित रहेंगे, मैं दीक्षा नहीं लूँगा। इस घटना के पीछे उनके भीतर का करुणा भाव झलकता है। उनकी यह सोच कि मेेरे कारण से माता-पिता को किसी तरह का मानसिक संक्लेश नहीं होना चाहिए, यह शिक्षा अगर आज की संतान अपने जीवन में उतार ले तो अहिंसा का òोत हर घर में प्रवाहित हो सकता है। 
महावीर का बचपन बीता, यौवन की दहलीज पर कदम धरे। वे शादी नहीं करना चाहते थे, पर माता-पिता के अत्यधिक आग्रह के कारण यशोदा नाम की राजकुमारी के साथ उन्होंने विवाह किया। फिर भी वे विरक्ति का जीवन जी रहे थे। 28 वर्ष की आयु में माता-पिता के दिवंगत होने के बाद ज्येष्ठ भ्राता नंदीवर्धन के कहने से महावीर ने 30वें वर्ष में दीक्षा स्वीकार की। साढ़े 12 वर्ष का उनका साधना
काल बड़ा कष्टप्रद और घोर उपसर्गों से भरा हुआ था। लेकिन महावीर उन कठिन-कठिनतम परिस्थितियों में भी मेरू की तरह अविचल रहे। जब महावीर लगभग साढ़े 42 वर्ष के हुए तो उनका संकल्प सिद्ध हुआ और उनको परम ज्ञान की प्राप्ति हुई। उन्होंने अहिंसा को शाश्वत धर्म बताया। भगवान महावीर ने अपने प्रवचनों में अपरिग्रह, अनेकांत, दास प्रथा का उन्मूलन, जातिवाद की अतात्त्विकता, पशु बलि का विरोध, नारी जाति की समानता आदि सिद्धांतों पर बल दिया। उस युग की समस्याओं का उन्होंने समाधान दिया। शासनश्री मुनिश्री ने महावीर की अभ्यर्थना में गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। अणुव्रत विद्यालय की छात्राओं ने गीत की प्रस्तुति दी। तेरापंथी सभा के मंत्री चमन दुधोड़िया, कवि गौरी शंकर भावुक, जीवराज सिंह, सूरजमल नाहटा, चैनरूप दायमा, रेखा राम गोदारा, सपना बैद, ज्योति दुधोड़िया तथा ज्ञानशाला के बच्चों ने गीत व वक्तव्य के द्वारा भगवान महावीर की अभ्यर्थना की। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष प्रदीप सुराना ने संयोजन किया। मंत्री विनोद नाहटा ने आभार ज्ञापन किया।