भगवान ऋषभ दीक्षा कल्याणक दिवस

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भगवान ऋषभ दीक्षा कल्याणक दिवस

हिंदमोटर।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में भगवान ऋषभ दीक्षा कल्याणक समारोह पारस भवन में मनाया गया। मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जैन धर्म आध्यात्मिक व वैज्ञानिक धर्म है। इस धर्म के प्रवर्तक तीर्थंकर होते हैं। इस युग के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभ हुए। भगवान ऋषभ से पूर्व कुलकर, समाज की व्यवस्था संभालते हैं। समाज में विकट समस्याएँ आने लगीं, तब लोगों ने कुलकर नाभि से समाधान माँगा तब नाभि ने राजकुमार ऋषभ को राजा बनाया। ऋषभ ने लोगों को असि, मसि, कृषि का ज्ञान दिया।
ऋषभ इस युग के प्रथम कर्म प्रणेता हुए। बाद में धर्म युग के प्रणेता हुए। आज के दिन भगवान ऋषभ ने चार हजार साथियों के साथ दीक्षा ली। दीक्षा अनंत की यात्रा है। दीक्षा का अर्थ हैµजागना। मुनिश्री ने आगे कहा कि जिनके अंतराय कर्म हल्के होते हैं वे ही तपस्या कर सकते हैं। बहन सुनिता बैद ने वर्षीतप प्रारंभ किया। मुनि परमानंद जी ने कहा कि भगवान ऋषभ ने तपस्या दीक्षा के साथ ही प्ररांभ कर तप का संदेश दिया। मुनि कुणाल कुमार जी ने गीत प्रस्तुत किया। मुनि जिनेश कुमार जी ने जप अनुष्ठान कराया।