आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस के आयोजन
फरीदाबाद
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में तेरापंथी सभा के तत्त्वावधान में भिक्षु अभिनिष्क्रमण का कार्यक्रम भक्तों की उपस्थिति में मनाया गया। साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि रामनवमी के दिन तेरापंथ के राम ने आत्माराम की शुद्धि साधना के लिए अपने कदमों को गतिशील किया। उनका अभिनिष्क्रमण तेरापंथ की आधारभित्ति बन गया। उन्होंने नए पथ के श्रीगणेश के लिए अभिनिष्क्रमण नहीं किया था। उन्होंने आचार्य पद प्राप्ति के लिए अभिनिष्क्रमण नहीं किया था, उनके भीतर महत्त्वाकांक्षा नहीं थी, पद्लिप्सा नहीं थी, वे तो भगवान महावीर के परम भक्त थे। उन्होंने तो महावीर बनने के लिए अभिनिष्क्रमण किया था। सत्य प्राप्ति के लिए, शुद्ध साधाचार के लिए अभिनिष्क्रमण किया था। उनका अभिनिष्क्रमण तेरापंथ का शुभ भविष्य बन गया।
साध्वीश्री जी ने कहा कि आज ही के दिन उनके जीव में कष्टों की कहानी का प्रारंभ हुआ। उनके मार्ग में विरोधों के भूचाल आए, आंधियाँ आईं, तूफान आए पर वह वीर पुरुष भिक्षु रुका नहीं, झुका नहीं। आगे बढ़ गया और तेरापंथ का प्रणेता बनकर तेरापंथ का दीप प्रज्ज्वलित किया। साध्वी कर्णिकाश्री जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु समता के महासागर थे। उन्होंने अनुकूल-प्रतिकूल, हर परिस्थिति में समत्व योग की साधना की। साध्वी समत्वयशा जी ने मंच का संचालन किया। डॉ0 साध्वी सुधाप्रभा जी व साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने मंगल संगान किया। सभा के मंत्री संजीव जैन, टीपीएफ नॉर्थ जोने के अध्यक्ष विजय नाहटा ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। प्रिया दुगड़, कनिष्का राखेचा, ईषिका दुगड़, मुस्कान दुगड़ ने सुमधुर स्वर लहरी प्रस्तुत की।