जय-जय रमाकंवर जी
जय-जय रमाकंवर जी
सतर वर्षा तक संयम पाल्यो है रम्माकंवरजी।
जय-जय रम्माकंवरजी।।
सावण कृष्णा आठ मन थे नोहर गाँव म जन्म्या,
पिता जुहार माता हुलास रे मनडे म थे रम्ग्या।
चोरड़िया कुल गौरवशाली जन्मया रम्माकंवरजी।।
चार-चार भगिनी दीक्षा ली तुलसी प्रभु चरणां में,
नैया पार करी रम्माजी महाश्रमण चरणा में।
‘शुभं’ सेवा रो शुभमय योग मिल्यो है रम्माकंवरजी।।
तुलसी प्रभु र चरणामं संयममय जीवन पायो,
त्रयी ज्येष्ठा भगिन्या रो स्नेह मिल्यो पग सुखदायो।
हरियल भू पर अंतिम साँस लियो है रमाकंवरजी।।
महातपस्वी महाश्रमण सा कुशल सारथी पाया,
नंदनवन सा भैक्षवशासन पाकर मन हरसाया।
ज्योति चरण चरणा म अंतिम साँस ली रम्माकंवरजी।।
प्रेम भाव तीनूं भगिन्यां रो मे तो आख्यानिरख्यों,
दो महिना सेवा रो अवसर पाकर मनडो हरस्यो।
प्रमोद भावना निजरां निरखी जय-जय रम्माकंवरजी।।
लय: संयममय जीवन हो----