अर्हम
साध्वी यशोधरा
धन्य-धन्य शासनश्री तूने, जीवन गजब संवारा,
खूब उजाली संयम चादर, शत-शत नमन हमारा।।
जय-जय-जय जिनवर शासन, धर्मसंघ है आश्वासन।
(वाह-वाह रामकुमारी तूने, जीवन गजब संवारा---)
चार-चार सुखशय्याओं में, रमण किया है जीभर,
निर्मल गतिशील सदा उपयोगी, शासनश्री जैसे निर्झर।
सिंह वृत्ति से बचपन में ही, साधुव्रत स्वीकारा।।
वाह-वाह रमाकुमारी तूने---।।
महाश्रमण का मंगल साया, करुणारस बरसाए,
गुरु करुणा से पंगुनर भी, प्रगति शिखर चढ़ जाए।
आर्यत्रयी की परमकृपा से, पाया दिव्य उजारा।।
वाह-वाह- रमाकुमारी तूने---।।
चार-चार बहनों ने दीक्षा, ले गणशान बढ़ाई,
शुभप्रभा जी ने शुभ अवसर, पाया है वरदाई।
गुरुदृष्टि ही सुख की सृष्टि, सूत्र मिला मनहारा।।
वाह-वाह रमाकुमारी तूने---।।
सतियाँ सारी सेवाभावी, सेवा खूब बजाई,
लंबे अर्से से स्थिरवासी, गुरु रिझवारी पाई।
‘यशोधरा’ हिसार धरा का, चमका भाग्य सितारा।।
वाह-वाह रमाकुमारी तूने---।।
लय: मॉय-निमॉय मुंडेर पे----