जीवन के ऊर्ध्वारोहण के लिए शरीर की नहीं आत्मा की उज्ज्वलता जरूरी है
सूरत।
मुनि उदित कुमार जी एवं मुनि मोहजीत कुमार जी तेरापंथ भवन, सिटीलाइट में विराज रहे हैं। मुनि उदित कुमार जी ने कहा कि कुछ लोग अपने शरीर को स्वच्छ रखने के लिए सजग रहते हैं। वे महँगे साबुन से स्नान करते हैं। कुछ लोग अपने वस्त्रों को स्वच्छ रखने के लिए अत्यंत महँगे वॉशिंग पाउडर का उपयोग करते हैं। शरीर की ओर वस्त्रों की उज्ज्वलता के लिए सजग रहना कुछ अंशों में जरूरी है, लेकिन उससे भी अनेक गुना जरूरी है आत्मा की उज्ज्वलता के प्रति सजग रहना।
मुनिश्री ने आगे कहा कि आदमी के पास बहुत ज्ञान होता है, उसकी वक्तृत्व कला अच्छी होती है, उसकी लेखन शैली भी अच्छी होती है, लेकिन भीतर में अहंकार होता है, सरलता नहीं होती है तो उसका कोई मूल्य नहीं है। आदमी कितना पढ़ा है उसके पास कितनी डिग्रियाँ हैं, मूल्य उस बात का नहीं है। मूल्यवान है व्यक्ति की सरलता और विनम्रता। भगवान भी उसी भक्तों के ऊपर कृपा बरसाते हैं, जिसका अंतरमन सरल और पवित्र होता है। जो सरलता को अपनाता है वह स्वतः भगवत्ता को प्राप्त कर लेता है। मुनि मोहजीत कुमार जी ने कहा कि इस दुनिया में दूसरों को गिराने वाले बहुत लोग मिल जाएँगे, लेकिन नीचे गिरे हुए को उठाने वाले, उसे सहारा देने वाले बहुत कम मिलते हैं। आपका व्यवहार कितना सरल है उसका मूल्य है। इसलिए आदमी को अधम नहीं बल्कि उत्तम बनना चाहिए। मुनि अनंत कुमार जी ने प्राक् वक्तव्य में सद्गुणों को विकसित करने की प्रेरणा दी।