सदुपयोग कर समय को सार्थक बनाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सदुपयोग कर समय को सार्थक बनाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण

कांकरिया-मणिनगर, अहमदाबाद। 28 मार्च, 2023
अणुव्रत संयम सप्ताह के अवसर पर अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि काल छः द्रव्यों में एक द्रव्य है। छः द्रव्यों में पाँच तो अस्तिकाय हैं, पर काल के पीछे अस्तिकाय नहीं लगा है। यानी प्रदेशों का समूह नहीं है। काल बीतने के बाद समाप्त हो जाता है। समय का आदमी किस तरह उपयोग करता है, यह महत्त्वपूर्ण है। काल को आगे से पकड़ें। आगामी काल का हम कैसे उपयोग करें, यह ध्यातव्य विषय बन सकता है। 24 घंटों में से 2-2 मिनट निकालें तो 48 मिनट की सामायिक हो सकती है। नादान आदमी समय का दुरुपयोग कर लेता है। हर दिन, हर सप्ताह, हर माह और हर वर्ष का महत्त्व होता है। समय का अपने ढंग से महत्त्व होता है।
आचार्यश्री तुलसी छोटी उम्र में साधु बनकर आचार्य बन गए। उन्होंने अणुव्रत जैसे आंदोलन को चलाया। अणुव्रत हर वर्ग के लिए उपयोगी है। हमारी जीवन शैली अणुव्रत आधारित हो। अणुव्रत अमृत महोत्सव का वर्ष चल रहा है। अणुव्रत के कार्यों में और अधिक स्फूरणा लाने का अवसर है। आर्थिक शुचिता भी रहे। साथ ही गृहस्थों का जीवन अच्छा रहे। सेवा के अनेक क्षेत्र हैं, पर अणुव्रती बनें। अच्छे इंसान बनें। अणुव्रत आंदोलन इंसानियत की बात करने वाला आंदोलन है। धर्म आदमी का कोई भी हो, उसका आचरण अच्छा होना चाहिए। अणुव्रत की आत्मा संयम है। अपनी दिनचर्या में साधना के रूप में जप, ध्यान, स्वाध्याय को शामिल करें। गृहस्थ होते हुए भी संयम रखें। व्यवसाय-व्यापार में पवित्रता रहे।
आगम के सूत्र हमें काल के प्रति जागरूक रहने का संदेश देते हैं। हमारा समय प्रमाद में न बीते। अच्छे संकल्प वाले व्यक्ति जीवन में अच्छा कार्य कर सकते हैं। अणुव्रत का कार्य अणुव्रत विश्व भारती कर रही है। अणुव्रत का अच्छा प्रचार-प्रसार हो। लोगों में अणुव्रत के प्रति आकर्षण की भावना जाग्रत हो। समय का अच्छा उपयोग करते हुए अणुव्रत के कार्यों को आगे बढ़ाते रहें। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि आत्मा को चमकाने के लिए अपनी आत्मा को रोज माँजना होगा। दो प्रकार की आत्मा होती हैµबद्ध आत्मा और मुक्त आत्मा। हमें आत्मा से परमात्मा बनना है। सद्गुरु हमें आत्मा से परमात्मा बना सकते हैं। आत्म-शुद्धि के लिए हमें स्वाध्याय, ध्यान और जप करना होगा। छः जीव निकाय के त्राता बनें। पापकारी प्रवृत्ति से बचें। अपने चिंतन को सकारात्मक बनाएँ।
साध्वी आत्मप्रभा जी ने बताया कि संत महात्मा चलते-फिरते तीर्थ होते हैं। गुजरात भाजपा के कोषाध्यक्ष धर्मेन्द्र भाई शाह, मणिनगर के विधायक अमूल भाई भट्ट, अशोक सेठिया ने भी अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त की। ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों की प्रस्तुति के साथ ही कन्या मंडल की भी प्रस्तुति हुई। विशाखा दफ्तरी, अनीता कोठारी, तनीशा बरड़िया, हितांशी सामसुखा, उपासक हनुमानमल दुगड़, कीर्ति सामसुखा ने भी गीत-कविता से पूज्यप्रवर की अभ्यर्थना की। महिला मंडल, कन्या मंडल की भी गीत की प्रस्तुति हुई, साथ ही दोनों ने संकल्प स्वीकार किए।
हिंदी साहित्य परिषद् द्वारा पूज्यप्रवर के विषय में अध्यात्म वंदना विशेषांक पूज्यप्रवर को उपहृत किया गया। पुस्तक का नाम हैµ‘नूतन भाषा सेतु’। इसके संपादक पवन अग्रवाल ने इसके बारे में जानकारी दी। इससे पहले 2014 में गुरुदेव तुलसी एवं 2020 में आचार्यश्री महाप्रज्ञ के जीवन पर विशेषांक प्रकाशित किया गया था। पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया। अभातेयुप के महामंत्री पवन मांडोत ने बताया कि अहमदाबाद में छात्राओं के लिए एक हॉस्टल बनाया जा रहा है। उसके प्रारूप का लोकार्पण किया गया। इसे शेषमल दक की स्मृति में दक परिवार द्वारा बनाया जा रहा है।
अणुव्रत विश्व भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर ने अणुव्रत वाहिनी का लोकार्पण पूज्यप्रवर की सन्निधि में किया। अणुविभा द्वारा वाहिनी के अनुदानदाताओं का सम्मान किया गया। प्रवचन से पूर्व आचार्यप्रवर असक्षम श्रावक-श्राविकाओं को दर्शन प्रदान कराने स्वयं पधारे। कई सोसाइटियों एवं घरों में पधारकर पूज्यप्रवर ने श्रावकों को धन्य-धन्य कर दिया। मुख्य मुनिप्रवर ने भी कल और आज सैकड़ों परिवारों की सार-संभाल की। कांकरिया-मणिनगर के श्रावक-श्राविकाएँ पूज्यप्रवर के पदार्पण से धन्य-धन्य हो गए। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने ‘कर्म समो नहीं कोई’ गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।