धर्म का सार है, चित्त शुद्ध रहे: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

धर्म का सार है, चित्त शुद्ध रहे: आचार्यश्री महाश्रमण

वरेड़िया, वड़ोदरा (गुजरात) 12 अप्रैल, 2023
महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 13ः8 किलोमीटर का विहार कर वरेड़िया ग्राम में पधारे। पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए परम पावन ने फरमाया कि मनुष्य अनेक चित्तों वाला होता है। हम आदमी के भावों पर ध्यान दें, भावों में परिवर्तन भी हो जाता है। कभी आदमी शांत बैठा हुआ दिखाई देता है तो कभी वह आक्रोश में बोलते हुए भी देखने को मिल जाता है। कभी आदमी विनय में तो कभी अहंकार में, कभी ऋजुता के भाव में तो कभी वह कौटिल्य युक्त भी बन सकता है। कभी संतोष में तो कभी लोभ में, कभी अहिंसा में तो कभी हिंसा में दिखाई देता है। यों अनेक प्रकार की विरोधी वृत्तियाँ भी आदमी में उजागर हो जाती हैं।
धर्म का संदेश है कि हमारी दुष्वृत्तियाँ, कषाय व राग-द्वेष के भाव कमजोर पड़ें, क्षीण हों। सद्वृत्तियाँ समता के भाव पुष्ट हों। जैसे हमारे भीतर के भाव होते हैं।, वैसा ही हमारा व्यवहार होता है। भक्ति करना अच्छी बात है, पर साथ में प्राणियों से भी मैत्री भाव रखें। हमारा स्वभाव मैत्री वाला रहे। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियम जीवन में अपनाएँ। सब जीव जीना चाहते हैं। सब जीवों के प्रति अनुकंपा-मैत्री रखें। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति से आदमी अच्छा बन सकता है। एक प्रसंग द्वारा समझाया कि हाथ की मुद्रा से दाता और माँगने वाले की पहचान हो सकती है।
हमारी चेतना शुद्ध रहे। जिंदगी में कार्य अच्छा करें। भाव और व्यवहार अच्छा रहे। जहाँ अहिंसा-संयम है, वहाँ चेतना की शुद्धि की बात हो सकती है। हो सके तो दूसरों के कल्याण का उपाय करें। आध्यात्मिक सहयोग देने का प्रयास करें। खुद को शांति चाहिए तो दूसरों को अशांति मत पहुँचाओ। हम शुभ लेश्या में रहने का प्रयास करें। प्रेक्षाध्यान में भी चित्त शुद्धि की बात बताई गई है। धर्म का सार है चित्त शुद्ध रहे। जीवन में मैत्री, अहिंसा, संवर हो। साधारण कपड़ों में भी कोई महान व्यक्तित्व छुपा हो सकता है। योग्यता, गुणों से हमारा व्यक्तित्व उभरे। बाह्य चीजों में ज्यादा आकर्षण न हो। खुद का कल्याण करते हुए जितना हो सके, दूसरों का कल्याण करते रहें। चित्त शुद्धि हमारा लक्ष्य रहना चाहिए। आज वरेड़िया आए हैं। यहाँ भी खूब शांति रहे।
पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सरपंच फजीला बेन एवं जेसराज सेखानी की पुत्रवधू सरिता सेखानी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति द्वारा सरपंच व स्कूल परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।